वक्फ संशोधन ब‍िल दो अप्रैल को दोपहर 12 बजे लोकसभा में किया जाएगा पेश, चर्चा के लिए 8 घंटे आवंटित : किरेन रिजिजू

संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने सोमवार को बताया कि वक्फ संशोधन विधेयक दो अप्रैल (बुधवार) को प्रश्नकाल के तुरंत बाद लोकसभा में पेश किया जाएगा और इसके बाद आठ घंटे तक इस पर व्यापक और विस्तृत चर्चा होगी;

Update: 2025-04-01 15:30 GMT

 

नई दिल्ली। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने सोमवार को बताया कि वक्फ संशोधन विधेयक दो अप्रैल (बुधवार) को प्रश्नकाल के तुरंत बाद लोकसभा में पेश किया जाएगा और इसके बाद आठ घंटे तक इस पर व्यापक और विस्तृत चर्चा होगी।


प्रेस से बात करते हुए अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री ने कहा, "कुछ सदस्य चर्चा के ल‍िए 6 घंटे चाहते थे, कुछ 4 घंटे, विपक्ष ने 12 घंटे की मांग की। इसके बाद विधेयक पर 8 घंटे की चर्चा के लिए सहमति बनी।" उन्होंने कहा, "सदन की भावना के आधार पर, अध्यक्ष द्वारा इसे बढ़ाने का निर्णय भी लिया जा सकता है।"

बुधवार को लोकसभा में हंगामेदार सत्र होने की उम्मीद है, क्योंकि विपक्षी सदस्य विवादास्पद विधेयक पर जोरदार विरोध करने को तैयार हैं। संसदीय कार्य मंत्री ने बताया कि वक्फ विधेयक पर संभावित टकराव का संकेत मंगलवार को बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (बीएसी) की बैठक में देखने को मिला।

रिजिजू ने प्रेस को बताया कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने वक्फ विधेयक पर 8 घंटे की बहस की घोषणा की, लेकिन विपक्ष ने विरोध शुरू कर दिया और वॉकआउट किया। उन्होंने विपक्ष पर डर फैलाने और विधेयक पर चर्चा से बचने के लिए वॉकआउट करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार विधेयक पर विस्तृत चर्चा के लिए तैयार है, क्योंकि सभी दलों को विवादास्पद खंडों पर अपनी आपत्तियां उठाने के लिए पर्याप्त समय मिलना चाहिए।

उन्होंने कहा, "कुछ दल जानबूझकर विधेयक पर अराजकता पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं और बहस से भागने के बहाने भी बना रहे हैं। देश इस विधेयक पर आपत्तियों को सुनना चाहता है।"

मंत्री ने केरल कैथोलिक बिशप काउंसिल (केसीबीसी) द्वारा विधेयक को समर्थन दिए जाने का भी संज्ञान लिया और उनके समर्थन का स्वागत किया।

विशेष रूप से, केरल में केरल काउंसिल ऑफ चर्चेज सहित विभिन्न कैथोलिक निकायों ने विधेयक का समर्थन क‍िया है और पार्टी लाइन से ऊपर उठकर सांसदों से विधेयक का समर्थन करने का आग्रह किया है, ताकि सरकार को वक्फ संपत्तियों के संचालन को विनियमित करने और पारदर्शी तरीके से विवादों का निपटारा करने की ताकत मिल सके।

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