कर्नाटक : मुस्लिम आरक्षण के खिलाफ 8 अप्रैल को वीएचपी का प्रदर्शन
कर्नाटक विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने राज्य सरकार के मुस्लिम समुदाय को सरकारी अनुबंधों में 4 फीसदी आरक्षण देने के फैसले के खिलाफ राज्यभर में विरोध-प्रदर्शन करने का ऐलान किया;
बेंगलुरु। कर्नाटक विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने राज्य सरकार के मुस्लिम समुदाय को सरकारी अनुबंधों में 4 फीसदी आरक्षण देने के फैसले के खिलाफ राज्यभर में विरोध-प्रदर्शन करने का ऐलान किया। वीएचपी नेता दीपक राज गोपाल ने इस संबंध में मीडिया से बातचीत करते हुए सरकार के इस कदम पर गंभीर आपत्ति जताई और कहा कि यह निर्णय कर्नाटक के हिंदू समुदाय के साथ बड़ा अन्याय है।
उन्होंने कहा कि हम सभी जानते हैं कि वर्तमान सरकार ने राज्य में 2 करोड़ तक के सभी सरकारी अनुबंधों और सेवाओं के लिए एक विशेष समुदाय को 4 फीसदी आरक्षण देने का प्रस्ताव किया है। यह कदम पूरी तरह से हिंदू समुदाय के व्यवसायों के खिलाफ है, जो पहले से ही इस क्षेत्र में कार्यरत हैं। किसी भी समुदाय को केवल इसलिए आरक्षण देना क्योंकि वह सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से पिछड़ा हुआ है, एक भ्रामक और विभाजनकारी कदम है। हर समुदाय में आर्थिक पिछड़ापन है। इस प्रकार की नीतियां समाज में अधिक भेदभाव और असमानता पैदा करती हैं।
उन्होंने कहा कि हिंदू समुदाय को सरकारी अनुबंधों तक समान अधिकार मिलना चाहिए, और धर्म के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव संविधान द्वारा प्रतिबंधित किया गया है। उन्होंने इस मुद्दे को भारतीय संविधान के खिलाफ बताया और कहा कि बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा रचित संविधान में ऐसे किसी भेदभाव की कोई जगह नहीं है। यह फैसला हिंदू समुदाय की उपेक्षा करने और एक विशेष समुदाय की मदद करने की कोशिश को दिखाता है। हिंदू समुदाय भी आर्थिक परेशानियों का सामना कर रहा है और यही समय है कि सरकार इस समुदाय के अधिकारों को भी सम्मान दे।
इसके साथ ही उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि वह इस फैसले पर पुनर्विचार करे और सभी समुदायों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करे, न कि केवल कुछ अल्पसंख्यक समुदायों के लिए। हम चाहते हैं कि सरकार हर समुदाय के लिए न्यायपूर्ण हो, न कि कुछ विशेष समुदायों के लिए।
उन्होंने बताया कि 8 अप्रैल को वीएचपी राज्यभर में शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन करेगी। इस दिन वीएचपी के कार्यकर्ता जिला केंद्रों पर प्रदर्शन करेंगे और जिला अधिकारी को ज्ञापन सौंपेंगे। यह विरोध लोकतांत्रिक तरीके से किया जाएगा, जिसमें हम सभी वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र भेजेंगे और उनके सामने अपना विरोध दर्ज करेंगे।
उन्होंने आगे कहा कि हमने पहले भी इस मुद्दे पर राज्यपाल से मुलाकात की थी और उन्होंने भी इस मुद्दे पर गहरी चिंता व्यक्त की थी। राज्यपाल ने यह कहा था कि यह कदम किसी भी राज्य में पहले नहीं लिया गया है। हम इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए सरकार से मांग करेंगे कि वह इस फैसले पर पुनर्विचार करे। उन्होंने आगे कहा कि उनका उद्देश्य सरकार के खिलाफ विरोध करना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि सभी भारतीय नागरिकों को समान अधिकार मिले और किसी भी समुदाय को विशेष लाभ न दिया जाए।