श्रीलंका के विपक्ष का आरोप, भारत से वित्त पोषित एमआरसीसी सुरक्षा के लिए खतरा

श्रीलंका के विपक्ष ने आरोप लगाया है कि भारत से वित्त पोषित समुद्री बचाव समन्वय केंद्र (एमआरसीसी) देश की सुरक्षा के लिए खतरा है और इससे चीन के साथ भू-राजनीतिक टकराव हो सकता है;

Update: 2022-03-22 23:39 GMT

कोलंबो। श्रीलंका के विपक्ष ने आरोप लगाया है कि भारत से वित्त पोषित समुद्री बचाव समन्वय केंद्र (एमआरसीसी) देश की सुरक्षा के लिए खतरा है और इससे चीन के साथ भू-राजनीतिक टकराव हो सकता है।

मुख्य विपक्षी दल, युनाइटेड पीपुल्स पावर (यूपीपी) के सांसद हरिन फर्नाडो ने दावा किया कि परियोजना के तहत पूरे श्रीलंकाई हवाई क्षेत्र को एक सुरक्षा प्रणाली की आड़ में भारत को बेचा जाता है।

श्रीलंका के कैबिनेट ने मंगलवार को घोषणा की कि भारत से 60 लाख डॉलर के अनुदान के साथ श्रीलंका में एमआरसीसी बनाने की मंजूरी दे दी गई है। राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे, जो रक्षा मंत्री भी हैं, ने प्रस्ताव पेश किया है और लंका सरकार व भारत सरकार के स्वामित्व वाली एयरोस्पेस और रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाने हैं।

यह दावा करते हुए कि सरकार विदेशों को राष्ट्रीय संसाधन बेच रही है, सांसद हरिन फर्नाडो ने कहा कि प्रस्तावित एमआरसीसी श्रीलंका नौसेना मुख्यालय के अंदर स्थापित किया जाएगा और देशभर में आठ अन्य उप-इकाइयां तैनात की जाएंगी, जिनमें से एक हंबनटोटा में है, जहां चीन द्वारा संचालित हार्बर भी है।

फर्नाडो ने दावा किया, "जबकि हंबनटोटा बंदरगाह चीन को दिया गया है, उसी क्षेत्र में एक एमआरसीसी स्थापित किया गया है। यह एक मूर्खतापूर्ण निर्णय है, जिससे युद्ध होगा।"

सांसद ने यह भी कहा कि समझौते के तहत भारत को श्रीलंका को तीन डोर्नियर समुद्री निगरानी विमान उपलब्ध कराने हैं, जबकि श्रीलंका की नौसेना को भारत से 4,000 मीट्रिक टन फ्लोटिंग बार्ज प्राप्त करना है।

विपक्ष के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए संयुक्त कैबिनेट प्रवक्ता मंत्री रमेश पथिराना ने भारत को राष्ट्रीय संसाधन बेचने से इनकार किया और कहा कि यह समझौता भारत और श्रीलंका के बीच द्विपक्षीय संबंधों और प्रशिक्षण कार्यक्रम को बढ़ाने पर केंद्रित होगा। उन्होंने कहा कि समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले इसे संसद में पेश किया जाएगा।

इस बीच, सांसद फर्नाडो ने यह भी आरोप लगाया कि यूनिफाइड डिजिटल आइडेंटिटी फ्रेमवर्क परियोजना के साथ भारत को सभी श्रीलंकाई लोगों के बायोमेट्रिक्स सहित डिजिटल पहचान की अनुमति देना सभी श्रीलंकाई लोगों के लिए खतरा है। उन्होंने शिकायत की, "सभी श्रीलंकाई लोगों की डिजिटल पहचान भारत के हाथ में होगी।"

मंत्रिमंडल ने मंगलवार को घोषणा की कि भारत और श्रीलंका के बीच 30 अरब रुपये के भारतीय अनुदान पर श्रीलंका एकीकृत डिजिटल पहचान ढांचे को लागू करने के संबंध में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाने हैं।

इस बीच संसद में विपक्ष के नेता सांसद लक्ष्मण किरीला ने वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे पर संसद को अंधेरे में रखते हुए भारत के साथ गुप्त रूप से समझौतों पर हस्ताक्षर करने का आरोप लगाया।

सांसद किरीला ने मंगलवार को संसद में कहा, "बेसिल राजपक्षे, जो पिछले तीन महीनों से संसद में नहीं आए हैं, भोजन खरीदने के लिए भारत को संसाधन बेच रहे हैं।"

हालांकि, संसद को संबोधित करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने कहा कि इस कठिन समय में भारत से इतनी राशि प्राप्त करना सौभाग्य की बात है, लेकिन सरकार की जिम्मेदारी है कि वह पारदर्शी हो।

विक्रमसिंघे ने कहा, "यह खास है, क्योंकि यह पहली बार है, जब भारत ने इस तरह से श्रीलंका की मदद की है। हालांकि, इस बारे में कई कहानियां फैली हुई हैं। इसे स्पष्ट करना वित्त मंत्री या विदेश मंत्री की जिम्मेदारी है।"

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