अनधिकृत कॉलोनियों के करदाताओं पर फोकस करेगी दक्षिणी निगम : गुप्ता
दक्षिणी दिल्ली नगर निगम करदातओं को राहत पहुंचाने के लिए एक बार फिर आम माफी योजना लेकर आ रहा;
नई दिल्ली। दक्षिणी दिल्ली नगर निगम करदातओं को राहत पहुंचाने के लिए एक बार फिर आम माफी योजना लेकर आ रहा है। इस योजना के तहत इस बार दक्षिणी निगम अननिधकृत कॉलोनियों में रह रहे करदाताओं पर फोकस करेगी। दक्षिणी निगम के की स्थाई समिति के अध्यक्ष डॉ.भूपेंद्र गुप्ता और नेता सदन कमलजीत सहरावत ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि हमारा निगम पिछले कुछ वर्षों से करदाताओं को राहत पहुंचाने के लिए आम माफी योजना लागू कर रहा है।
इस योजना का उद्देश्य संपत्ति कर से अधिक ब्याज और जुर्माने की राशि से भयभीत करदाताओं को राहत प्रदान करना है। एक बार आम माफी योजना से लाभ उठाने के बाद करदाताओं का संपत्तिकर अद्यतन हो जाता है। उन्होंने बताया कि अगले दो महीने के बाद लाई जाने वाली आम माफी योजना में अनधिकृत कॉलोंनियों के करदाताओं पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। डॉ.गुप्ता ने कहा कि अनधिकृत कॉलोनियों में निर्धन और मध्यम वर्ग के परिवार रहते हैं।
ऐसे परिवारें को अपना घर बनाने में अपनी पूरी पूंजी खर्च करनी पड़ती है। कई बार ऐसे परिवार संपत्ति कर का भुगतान नहीं कर पाते लेकिन वे कर का भुगतान करने को इच्छुक होते हैं। श्रीमती सहरावत ने कहा कि अनधिकृत कॉलोनियों के करदाताओं के लिए आम माफी योजना लाने से उनकी जुर्माने और ब्याज की बड़ी रकम माफ हो जाएगी।
इतना ही नहीं आम माफी योजना के अंतर्गत संपत्ति कर का भुगतान करने के बाद वे हर वर्ष अपने संपत्ति कर का नियमित रूप से भुगतान कर सकेंगे।
अगली आम माफी योजना में 31.03.2019 तक के रेटेबल वैल्यू मैथड से उन कर निर्धारित मामलों के करदाताओं को भी राहत दी सकती है जिनकी डिमांड बकाया है। संपत्ति कर के संकलन से दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के क्षेत्र में सुविधाओं को उन्नत बनाने का काम सुगम होता है।
डॉ.गुप्ता ने ऑडिट पैरा में कुछ परियोजनाओं में हुई देरी और उनकी लागत में बढ़ोतरी के मुद्दे को स्पष्ट करते हुए कहा कि दक्षिणी निगम इसके लिए ज़िम्मेदार नहीं है क्योंकि इसके लिए परियोजनाओं का क्षेत्र बढ़ता गया और जवाहर लाल नेहरू शहरी नवीनीकरण मिशन से फंड नहीं मिला। उन्होंने कहा कि पुष्प विहार से रिंग रोड तक नाले को इसलिए कवर नहीं किया जा सका क्योंकि एनजीटी ने दिल्ली में नालों के ढकने पर रोक लगा दी थी। इसके अलावा मोबाइल टावर लगाने के लिए प्रति टावर लगाने पर एक लाख रुपए का शुल्क यानि कुल शुल्क 10.13 करोड़ रुपए नहीं वसूले जाने पर उन्होंने कहा कि निगम ने इस राशि से कहीं अधिक राशि वसूली है। डॉ. गुप्ता और श्रीमती सहरावत ने संपत्ति कर की 1177 करोड़ रुपए की बकाया राशि नहीं वसूले जाने की टिप्पणी पर कहा कि इसमें से डीडीए से 504 करोड़ रुपए बकाया हैं। इसके अलावा 2010 में दिल्ली सरकार द्वारा यह घोषणा करने से कर वसूली की गति धीमी हुए कि अनधिकृत कॉलोनियों में संपत्ति कर देय नहीं होगा। 31.03.2004 तक रेटेबल वैल्यू के तहत बकाया करों की वसूली हाई कोर्ट के फैसले के कारण रुकी रही। उन्होंने कहा कि संपत्ति कर का उल्लंघन करने वाले करदाताओं की संख्या 1,40,455 से कम होकर 92,456 हुए जो 2017-18 में और कम होकर 74,156 हो गई।