किसान आंदोलन : छह अप्रैल को दिल्ली की सीमाओं पर पहुंचेगी मिट्टी सत्याग्रह यात्रा

किसान आए दिन अपनी रणनीतियों में बदलाव कर रहे हैं;

Update: 2021-03-31 13:20 GMT

किसान दिल्ली की सीमाओं पर बैठे हैं. अपनी मांग पर अब भी कायम हैं और सरकार को बार बार नसीहत दे रहे हैं कि अगर सरकार उनकी मांग नहीं मानेगी तो किसान घर वापस नहीं लौटेंगे. ऐसे में सरकार और किसानों के बीच का ये गतिरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है. जिसके चलते अब किसान आए दिन अपनी रणनीतियों में बदलाव कर रहे हैं. किसान दिल्ली की सीमाओं पर करीब 126 दिनों से बैठे हैं. लेकिन सरकार का ध्यान किसानों की ओर जा ही नहीं रहा है. ऐसे में किसान अपनी रणनीति में बदलाव कर रहे हैं. किसानों का आंदोलन सर्दियों में शुरू हुआ था. जो अब गर्मियों में प्रवेश कर चुका है. जिसके चलते जो किसान ट्रॉलियों में और तिरपाल के टेंट बनाकर रह रहे थे. वो अब पक्के मकान बना रहे हैं. गर्मियों से निपटने के लिए किसान एसी, फ्रिज जैसी चीजों की व्यव्सथा कर रहे हैं. साथ ही बिजली के लिए किसानों ने सोलर पैनल की भी व्यव्सथा की. जो ये दर्शा रहा है कि किसान इतनी आसानी से घर वापस जाने वाले नहीं है. लेकिन सरकार पर इन सबका कोई असर नहीं पड़ता दिख रहा है. ट्रैक्टर रैली से लेकर भारत बंद जैसी तमाम योजनाएं अब तक सरकार के सामने विफल होती नजर आई. मगर किसान नेता राकेश टिकैत कहते हैं कि किसान आने वाली सर्दियों तक दिल्ली की सीमाओं पर डटे रहेंगे. देश के अलग अलग हिस्सों में जा कर किसान पंचायत कर रहे हैं. साथ ही किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले 320 से अधिक किसानों की याद में जनांदोलनों के राष्ट्रीय समन्वयक एनएपीएम की ओर से मिट्टी सत्याग्रह का आयोजन किया जा रहा है. जिसके चलते ये यात्रा छह अप्रैल को दिल्ली के टीकरी, सिंघु और गाजीपुर बॉर्डर पहुंचेगी. जिसमें गांवों और शहरों से कलश में इकट्ठा मिट्टी आंदोलन में जान गंवाने वालों को समर्पित की जाएगी. इसके बाद ये यात्रा 30 मार्च को दांडी से शुरू होकर गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और पंजाब के कई जिलों से होकर 5 अप्रैल की सुबह 9 बजे शाहजहांपुर बॉर्डर पहुंचेगी. अब किसान सरकार का ध्यान अपनी ओर केद्रित करने के लिए आए दिन अपनी अलग-अलग ऱणनीति तैयार कर रहे हैं. लेकिन अब किसानों की इस रणनीति से सरकार पर कितना असर पड़ेगा ये तो आने वाले समय पर ही पता चलेगा.

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