डेटा सेंधमारी को लेकर स्मृति ईरानी ने राहुल पर कसा तंज
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी ने सोमवार को कांग्रेस पर डेटा सेंधमारी का आरोप लगाते हुए पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधा।;
नई दिल्ली। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी ने सोमवार को कांग्रेस पर डेटा सेंधमारी का आरोप लगाते हुए पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधा।
ईरानी ने कहा कि कांग्रेस ने सिंगापुर की एक कंपनी को अपने आधिकारिक एप 'विदआईएनसी' से डेटा साझा किया था, जोकि अब गूगल प्ले स्टोर से गायब हो चुका है।
ईरानी ने ट्वीट कर गांधी से पूछा कि क्या उनकी टीम ने उनके द्वारा 'नमो' एप को डिलीट करने को कहने को ठीक से नहीं समझा और इसके बदले 'विदआईएनसी' एप को गूगल स्टोर से हटा दिया।
प्ले स्टोर का स्क्रीन शॉट्स पोस्ट करते हुए स्मृति ईरानी ने पूछा, "यह क्या राहुल गांधीजी, लगता है आपकी टीम, आपने जो करने को कहा उसके उलट काम कर रही है। नमोएप डिलीट करने के बजाए उन्होंने कांग्रेसएप को ही हटा दिया।"
उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष से पूछा कि क्या वह बताएंगे कि 'कांग्रेस ने सिगापुर के सर्वर को डेटा क्यों भेजा, जिसे कोई व्यक्ति, गुप्तचर व एनालिटिका उपयोग कर सकता था।' उन्होंने ब्रिटिश कंपनी का जिक्र किया, जिसने फेसबुल यूजर डेटा का राजनीतिक मकसदों से उपयोग करके तूफान खड़ा कर दिया है।
मंत्री ने यह बयान कांग्रेस द्वारा डेटा सेंधमारी में उसकी संलिप्तता को निराधार बताने के बाद दिया है।
कांग्रेस ने कहा 'विदआईएनसी' एप का इस्तेमाल सिर्फ सोशल मीडिया अपटेड करने के लिए किया गया है।
पार्टी ने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा, "आज सुबह हमें प्ले स्टोर से एप हटाना पड़ा, क्योंकि गलत यूआरएल का प्रसार हो रहा था और लोग उससे गुमराह हो रहे थे। 'विदआईएनसी' एप एक सदस्यता का एप है और यह पांच महीने से उपयोग में नहीं है, क्योंकि हमने 16 नवंबर, 2017 को डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट आईएनसी डॉट इन को हटा दिया था।"
इस आरोप-प्रत्यारोप के बीच राहुल गांधी ने भी मोदी पर आरोप लगाया कि वह अपने पद का दुरुपयोग करके सरकार द्वारा प्रमोट किए गए नमोएप के जरिए लाखों भारतीय नागरिकों के डेटा के साथ अपना व्यक्तिगत डेटाबेस तैयार कर रहे हैं।
सत्ताधारी दल की ओर से कांग्रेस पर सिंगापुर की कंपनी के साथ डेटा साझा करने का आरोप लगाए जाने पर राहुल ने मोदी और भारतीय जनता पार्टी पर पलटवार करते हुए कहा, "अगर पीएम के रूप में वह प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल भारत के साथ संचार करने में करते हैं तो कोई दिक्कत नहीं है। मगर, इसके लिए पीएमओ एप का इस्तेमाल होना चाहिए। ये डेटा भारत के हैं, मोदी के नहीं।"