संस्कृत अकादमी का हुआ पुर्नगठन, महिला प्रोफेसर संभालेंगी बागडोर

दिल्ली सरकार ने संस्कृति अकादमी का पुर्नगठन करते हुए पहली बार अकादमी की कमान एक महिला को सौंपते हुए डा. कांता रानी भाटिया का नाम तय किया है;

Update: 2017-12-07 00:23 GMT

नई दिल्ली। दिल्ली सरकार ने संस्कृति अकादमी का पुर्नगठन करते हुए पहली बार अकादमी की कमान एक महिला को सौंपते हुए डा. कांता रानी भाटिया का नाम तय किया है।

दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर कांता रानी भाटिया अकादमी की वाइस चेयरपर्सन होंगी और सरकार की 70 संस्कृत केंद्र खोलने की योजना को अमली जामा पहनाने की जिम्मेदारी निभाएंगी। राज्य सरकार स्कूलों में संध्या पाली में जहां संस्कृत की कक्षाएं चलाने के पक्ष में है वहीं चाहती है कि सोशल मीडिया पर इस भाषा का उपयोग, प्रचार, प्रसार किया जाए।

अकादमी में इसके अलावा सेंट स्टीफन कॉलेज के प्रो. आशुतोष दयाल माथुर, परसियन स्कॉलर डा. बलराम शुक्ला, लेडी श्रीराम कॉलेज की डा. पंकज घई कौशिक और आकाशवाणी में संस्कृत के न्यूजरीडर डा. बलदेवांनद सागर को सदस्य के तौर पर शामिल किया गया है।

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि संस्कृत न सिर्फ एक भाषा के तौर पर अनमोल है यह पारंपरिक ज्ञान का स्रोत है। भाषा को जिंदा रखने के लिए हमें इसे अधिक उपयोगी बनाना चाहिए व आम जनों की पहुंच के दायरे में ले जाना चाहिए। इसमें विस्तार की अपार संभावनाएं हैं और उम्मीद करता हूं कि भाषा के इस विकास में अकादमी के सदस्य भी अपना भरपूर योगदान देंगे।

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