सचिन पायलट की वापसी, अशोक गहलोत की मेहरबानी

राजस्थान में गहलोत सरकार पर मंडरा रहे संकट के बादल छंट गए हैं. राहुल और प्रियंका से मुलाकात के बाद पायलट घर वापसी को राजी हो गए…;

Update: 2020-08-11 16:30 GMT

राजस्थान में गहलोत सरकार पर मंडरा रहे संकट के बादल छंट गए हैं. राहुल और प्रियंका से मुलाकात के बाद पायलट घर वापसी को राजी हो गए…इस राजी नामे के बाद अशोक गहलोत भी उनपर मेहरबान होते नजर आ रहे हैं. गहलोत ने पायलट के ऊपर से सारे इल्जाम हटा लिए हैं. यानी राजस्थान की राजनीति में छिड़ी रार पूरी तरह से खत्म हो गई है. राजस्थान में गहलोत को ना शक्ति प्रदर्शन करना पड़ा, ना बहुमत की परीक्षा देने पड़ी…उन्होंने ऐसी गुगली फेंकी कि सत्ता भी बच गई और पायलट भी घर वापसी को राजी हो गए. उन्होंने राहुल और प्रियंका गांधी से मुलाकात के बाद हाथ का साथ देने का ही वादा किया है. जब पायलट एक कदम झुके हैं, तो गहलोत ने भी दो कदम आगे बढ़ाए हैं. उन्होंने दुश्मन से दोस्त बने पायलट के ऊपर से सारे आरोप वापस ले लिए हैं. पायलट समर्थकों से मुलाकात के बाद गहलोत ने राहत के संकेत दिए हैं. सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पायलट खेमे को आश्वासन दिया है कि अब किसी भी तरह की कोई भी पुलिस कार्रवाई नहीं की जाएगी. विधायकों के खरीद-फरोख्त के टेप कांड की जांच भी बंद होगी. वहीं गहलोत के इस रुख के बाद पायलट खेमे में खुशी की लहर है.मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद पायलट समर्थक विधायक भंवरलाल ने बातचीत को सकारात्मक बताया और कहा कि सरकार सुरक्षित है. पार्टी एक परिवार है और अशोक गहलोत उसके मुखिया.
भंवरलाल शर्मा ने कहा कि मेरी अशोक गहलोत से नहीं, मुख्यमंत्री से क्षेत्र के मुद्दों को लेकर नाराजगी थी. एक दो दिन में सब ठीक हो जाएगा. अशोक गहलोत ही मुख्यमंत्री रहेंगे और यह सरकार पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी…वहीं दूसरे नेताओं ने भी गहलोत को ही अपना मुखिया बताया है. पायलट समर्थकों का ये यू-टर्न केवल राहुल और प्रियंका की बदौलत आया है. दरअसल सोमवार को सचिन पायलट ने दिल्ली में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मुलाकत की थी. जिसमें उन्होंने अपनी समस्याएं रखीं. राहुल गांधी ने पायलट की समस्याओं को दूर करने का आश्वासन दिया, जिसके बाद पायलट और कांग्रेस के रिश्तों पर जमी बर्फ अब पिघलती नजर आ रही है….अब राजस्थान की राजनीति आया भूचाल थम गया है. जिससे बीजेपी के अरमानों पर पानी फिर गया है.

 

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