केंद्र के बजट में 'मप्र के लिए कटौती' पर बढ़ी तकरार
मध्यप्रदेश को केंद्र सरकार से मिलने वाली राशि में हुई कटौती से जहां कई योजनाओं पर असर पड़ रहा है;
भोपाल | मध्यप्रदेश को केंद्र सरकार से मिलने वाली राशि में हुई कटौती से जहां कई योजनाओं पर असर पड़ रहा है, वहीं सत्ताधारी कांग्रेस और विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में सियासी तकरार बढ़ गई है। राज्य के हिस्से की राशि में 14 हजार करोड़ रुपये से अधिक की कटौती के लिए दोनों दल एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। केंद्र की भाजपा सरकार ने 1 फरवरी, 2019 को पेश बजट में मध्यप्रदेश को 63,750 करोड़ रुपये का आवंटन किया था। मगर वर्ष 2020 के बजट में राशि घटाकर 49,517 करोड़ रुपये कर दी गई, जो पिछले बजट से 14,233 करोड़ रुपये कम है।
केंद्र सरकार से राज्य को मिलने वाले हिस्से में हुई कटौती का राज्य में संचालित कई योजनाओं पर असर पड़ रहा है, क्योंकि केंद्र सरकार प्रवर्तित योजनाओं के लिए राशि कम पड़ रही है। इस कटौती के लिए प्रदेश में सत्तापक्ष और विपक्ष एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने केंद्र सरकार द्वारा की गई कटौती के लिए राज्य सरकार को ही जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा, "वास्तव में मध्यप्रदेश सरकार केंद्र की योजनाओं के पैसे का ना तो उपयोग कर रही है और ना ही उपयोगिता प्रमाणपत्र दे रही है। केंद्र की कोई भी योजना हो, उसका पैसा अनडिमांड उपलब्ध है, लेकिन मध्यप्रदेश की सरकार योजनाओं का काम ही आगे नहीं बढ़ा रही है।"
साथ ही, उन्होंने मुख्यमंत्री कमल नाथ पर राजनीतिक बयानबाजी करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "केंद्र सरकार हर कदम पर मध्यप्रदेश के लोगों के साथ खड़ी है और मौजूदा बजट में भी प्रदेश के किसानों के लिए, सिंचाई सुविधाओं के लिए, नेशनल हाइवे और एयरपोर्ट के विकास के लिए अनेक प्रावधान किए गए हैं।"
वहीं वित्तमंत्री तरुण भनोत ने जयंत सिन्हा पर गलतबयानी का आरोप लगाते हुए कहा है कि केंद्र सरकार ने पुनरीक्षित बजट अनुमान में मध्यप्रदेश को मिलने वाली राशि में 14,233 करोड़ रुपये की कटौती की है। वर्ष 2019 के फरवरी माह में जारी बजट अनुमान और वर्ष 2020 के पुनरीक्षित अनुमान के दोनों दस्तावेजों से यह स्पष्ट हो जाता है कि केंद्र सरकार ने मध्यप्रदेश के हिस्से की राशि में भारी कटौती की है।
भनोत ने राज्यों के अंशदान को बढ़ाने का आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्रीय योजनाओं में राज्यों की हिस्सेदारी संप्रग सरकार के समय 25 प्रतिशत थी, जिसे वर्तमान की राजग सरकार ने बढ़ाकर 40 और कुछ योजनाओं में 50 प्रतिशत तक कर दिया था। इस प्रकार राज्य के अंशदान में 60 से 100 प्रतिशत तक की वृद्धि की गई। इससे मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्य सरकार भी वित्तीय संकट का सामना कर रही है।
वित्तमंत्री ने कहा, "केंद्र में भाजपा नीत सरकार आने के बाद निरंतर राज्यों के साथ अन्याय हो रहा है। वर्ष 2014 के पहले संप्रग सरकार के समय जब डॉ. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे, तब केंद्र की विभिन्न योजनाओं में केंद्र का अंश 75 प्रतिशत और राज्यों की 25 प्रतिशत की हिस्सेदारी होती थी, लेकिन जबसे केंद्र में मोदी सरकार आई है, तब से केंद्रीय योजनाओं में राज्यों की हिस्सेदारी में 60 से 100 प्रतिशत की वृद्धि की गई है।"