विधानसभा चुनाव से पहले राजस्थान में भाजपा का ओबीसी कार्ड
पिछले कई दिनों से राजस्थान में बीजेपी अध्यक्ष को लेकर मथा पच्ची चल रही थी लेकिन अब आखिरकार प्रदेश अध्यक्ष का ऐलान कर दिया गया है;
नई दिल्ली। पिछले कई दिनों से राजस्थान में बीजेपी अध्यक्ष को लेकर मथा पच्ची चल रही थी लेकिन अब आखिरकार प्रदेश अध्यक्ष का ऐलान कर दिया गया है। राज्यसभा सांसद मदनलाल सैनी को प्रदेश में पार्टी की कमान सौंपी गई है। कहा जा रहा है कि विधानसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी ने अपनी लड़खड़ा रही नैया को पार लगाने के लिए मदनलाल सैनी के जरिए ओबीसी कार्ड खेला है।
राजस्थान में अशोक परनामी के इस्तीफे के बाद बीजेपी अध्यक्ष किसे बनाया जाए इसे लेकर पिछले ढाई महीने से पार्टी में आतंरिक कलह मची हुई थी। यहां तक कि अमित शाह और सीएम वसुंधरा राजे तक आमने-सामने आ गए थे। ये तल्खियां आने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी की परेशानी बढ़ा सकती थी इसीलिए चुनाव से पहले पार्टी ने इस तकरार को दूर करने के लिए मदनलाल सैनी को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया।
सैनी को कमान सौंप कर पार्टी ने एक तीर से दो निशाने लगाने की कोशिश की है। जहां एक तरफ तकरार को खत्म कियातो वहीं चुनाव को देखते हुए जातिगत समीकरण भी बैठाए हैं। दरअसल राज्य में ओबीसी समुदाय बीजेपी से नाराज हैं। इसका फायदा कांग्रेस को मिल सकता है। पूर्व सीएम अशोक गहलोत की ओबीसी पर काफी अच्छी पकड़ है। गहलोत माली समुदाय से आते हैं।
राजस्थान में माली समुदाय गहलोत की वजह से काफी समय से कांग्रेस को वोट देता आ रहा है। इसीलिए पार्टी ने गहलोत का तोड़ निकालने के साथ-साथ कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक में सेंधमारी के लिए सैनी को कमान दी। मदनलाल सैनी भी उसी माली समुदाय से आते हैं, जिससे अशोक गहलोत आते हैं। अब मदनलाल सैनी के प्रदेश अध्यक्ष बनने से बीजेपी को कांग्रेस के परंपरागत वोटों में सेंध लगाने में सफलता मिल सकती है।
आपको बता दें कि सैनी को राजस्थान के शेखावटी अंचल में भाजपा को खड़ा करने वाले नेताओं के रूप में जाना जाता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में अच्छी खासी पैठ रखते हैं। लो-प्रोफाइल रहकर जनसंघ के जमाने के पुराने नेताओं में अपनी दमदार छवि रखते हैं। सैनी को संगठन के नेता के रुप में जाना जाता है। राज्य की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से भी सैनी का समीकरण काफी अच्छा है।