आरएसएस बना केंद्र सरकार का विरोधी !
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जबसे नेशनल मॉनेटाइजेशन पाइपलाइन योजना की घोषणा की है केंद्र सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई है. विपक्ष का आरोप है कि सरकार देश को बेच रही है. जिसके लिए विपक्ष ने सरकार के खिलाफ कई अभियान भी चलाए। लेकिन विपक्ष सरकार के फैसलों का विरोध करे तो ये आम बात है...मगर हैरानी की बात ये है कि इस योजना पर सरकार के अपने ही सरकार का विरोध कर रहे हैं.;
नेशनल मॉनेटाइजेशन पाइपलाइन प्रोग्राम को लेकर विपक्ष का विरोध झेल रही केंद्र सरकार अब अपनों के निशाने पर भी आ गई है। दरअसल बीते महीने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने छह लाख करोड़ रुपये की राष्ट्रीय मौद्रीकरण योजना की घोषणा की थी। इसके तहत साल 2022 से 2025 के बीच रेल, सड़क और बिजली क्षेत्र की बुनियादी ढांचा संपत्तियों का मौद्रिकरण किया जाएगा। इस स्कीम के तहत 15 रेलवे स्टेडियम, 25 एयरपोर्ट और 160 माइनिंग प्रोजेक्ट को मॉनेटाइज किया जाएगा। वित्त मंत्री ने अपने बयान में कहा था कि इन सभी पर मालिकाना हक सरकार का बना रहेगा। हम कुछ भी बेच नहीं रहे हैं, एक समय बाद ये सारी संपत्तियां वापस हो जाएंगी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े संगठनों ने इस योजना के अलावा, महंगाई और तालिबान जैसे मुद्दों पर सरकार के काम से नाखुश होकर भारतीय मजदूर संघ ने नाराजगी जाहिर की है। बीएमएस के नेशनल एक्जीक्यूटिव ने पहले ही बढ़ती महंगाई के खिलाफ प्रस्ताव पास किया था और सरकार से तुरंत इसे रोकने के लिए कदम उठाने की मांग भी की थी। अब केंद्र सरकार के फैसलों से असंतुष्ट और नाखुश बीएमएस ने ऐलान किया है कि वो 9 सितंबर को महंगाई के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करेंगे। इसके अलावा बीएमएस 2 नवंबर को नेशनल मॉनेटाइजेशन प्रोग्राम के खिलाफ भी देशव्यापी प्रदर्शन करेगी साथ ही आरएसएस से जुड़े एक और संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने भी केंद्र सरकार के इस प्रोग्राम की आलोचना की है। विपक्ष तो पहले ही सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहा था. अब संघ से जुड़े संगठनों के ऐलान के बाद से सरकार के लिए मुश्किल बढ़ती नज़र आ रही है.