आदिवासियों के अधिकारों को ख़त्म किया जा रहा : कांग्रेस

कांग्रेस ने लोकसभा में सरकार पर आदिवासियों के अधिकारों को ख़त्म करने का आरोप लगाते हुए कहा कि विस्थापितों का सबसे अधिक दंश आदिवासियों को झेलना पड़ रहा है;

Update: 2024-02-09 10:54 GMT

नई दिल्ली। कांग्रेस ने लोकसभा में गुरुवार को सरकार पर आदिवासियों के अधिकारों को ख़त्म करने का आरोप लगाते हुए कहा कि विस्थापितों का सबसे अधिक दंश आदिवासियों को झेलना पड़ रहा है।

कांग्रेस के सप्तगिरी उलाका ने संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश संशोधन विधेयक, 2024 और संविधान (अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति) आदेश संशोधन विधेयक, 2024 पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि आदिवासियों का अपनी भाषा अपानी परंपरा और अपने नाच-गाने होते हैं लेकिन सरकार समान नागरिक संहिता क़ानून लाकर इसे ख़त्म करना चाहती है। सरकार ने आदिवासियों के एक-एक करके अधिकारों को ख़त्म कर रही है। समान नागरिक संहिता से हमारी सभ्यता संस्कृति ख़त्म हो जायेगी।

श्री उलाका ने कहा कि देश में आदिवासियों की आबादी 8.6 प्रतिशत है जबकि विस्थापित होने वालों में 80 प्रतिशत आदिवासी हैं। विकास की योजनाओं के नाम पर सबसे अधिक आदिवासियों को विस्थापित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पीएसयू के निजीकरण होने का नुक़सान भी सबसे अधिक आदिवासियों को होनरहा है।

इससे पहले केंद्रीय जनजातीय मामलों के राज्य मंत्री भारती पवार ने विधायक को सदन के समक्ष पारित करने के लिए रखते हुए कहा कि पिछले 10 साल से इस देश में जनजातियों का विकास हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक बदलता हुआ भारत दिख रहा है।

उन्होंने कहा कि दोनों विधेयकों के पारित होने के बाद चार ओडिशा में और तीन आंध्र प्रदेश में जनजातियों को लाभ मिलेगा। ये समुदाय इतने वर्षों बाद भी अपनी पहचान नहीं बना पाये थे।

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