हरिद्वार आश्रमों के मामले में प्राधिकरण से मांगी रिपोर्ट
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हरिद्वार के चंडीघाट स्थित आश्रमों की वस्तुस्थिति को लेकर हरिद्वार जिला विकास प्राधिकरण को दो सप्ताह में रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है;
नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हरिद्वार के चंडीघाट स्थित आश्रमों की वस्तुस्थिति को लेकर हरिद्वार जिला विकास प्राधिकरण को दो सप्ताह में रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने प्राधिकरण से विस्तृत हलफनामे में यह भी पूछा है कि ये आश्रम गंगा तट से निर्धारित मानकों और दूरी पर स्थित हैं?
अदालत ने सरकार से यह भी पूछा है कि जिन कुष्ठ रोगियों के आवास तोड़े गए हैं, उन्हें मुआवजा का भुगतान किया गया है या नहीं। कुष्ठ रोगियों का पुनर्वास किया गया है या नहीं। प्राधिकरण को सभी बिन्दुओं पर दो सप्ताह में रिपोर्ट पेश करनी है।
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ ने ये निर्देश शुक्रवार को देहरादून की एक्ट नाउ वेलफेयर सोसायटी की जनहित याचिका पर सुनवाई करने के बाद दिये।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि वर्ष 2017 में हरिद्वार में राष्ट्रपति के दौरे के चलते प्रशासन ने कुष्ठ रोगियों के आवास हटा दिए थे। दूसरी ओर सुनवाई के दौरान अदालत के संज्ञान में यह तथ्य भी लाया गया कि कुष्ठ रोगियों के आवास के अलावा अन्य आश्रमों में अवैध निर्माण के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई है।
इसके बाद अदालत ने चंडीघाट स्थित सात आश्रमों के बारे में हरिद्वार विकास प्राधिकरण से दो सप्ताह में रिपोर्ट देने को कहा।