मप्र हाईकोर्ट का अधिवक्ता के गैरहाजिर रहने पर मामले की सुनवाई से इनकार

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कहा है कि अधिवक्ता के जानबूझकर अदालत में अनुपस्थित रहने से यदि कोई मामला खारिज होता है, तो पक्षकार अपने पैरोकार के खिलाफ उचित कार्रवाई करने स्वतंत्र हैं। ;

Update: 2017-10-18 13:40 GMT

जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कहा है कि अधिवक्ता के जानबूझकर अदालत में अनुपस्थित रहने से यदि कोई मामला खारिज होता है, तो पक्षकार अपने पैरोकार के खिलाफ उचित कार्रवाई करने स्वतंत्र हैं। 

न्यायालय की न्यायाधीश एस के सेठ और अंजुली पालो की युगलपीठ ने अधीवक्ता की गैरहाजिरी के कारण खारिज हुए एक मामले की फिर से सुनवाई के लिए कल इंकार कर कर दिया और कहा कि पक्षकार अपने पैरोकार के खिलाफ उचित कार्रवाई करने को स्वतंत्र है। 

जबलपुर के खमरिया थाना क्षेत्र की ग्राम पंचायत रिठोरी की पूर्व सरपंच सरोज रजक और पूर्व सचिव गणेश केवट की ओर से दायर याचिका में आवेदकों का बताया था कि उनके खिलाफ खमरिया थाने में दर्ज हुए भ्रष्टाचार के मामले को चुनौती देते हुए एक पुनरीक्षण याचिका हाईकोर्ट में दायर हुई थी जो अधिवक्ता की गैरहाजिरी के चलते 18 सितंबर 2017 को खारिज कर दी गई। इस मामले को सुनवाई के लिए फिर से लगाने यह प्रकरण दायर किया गया है। 

इस मामले में आवेदकों के अधिवक्ता की ओर से कहा गया कि मुकदमा लगने की जानकारी उन्हें कॉजलिस्ट से नहीं मिल पाई थी, जिसके कारण वे सुनवाई के दौरान हाजिर नहीं हो सके।

पैरोकार की यह भी दलील थी कि उनकी गलती का खामियाजा पक्षकार नहीं भुगत सकता। साथ ही उनका यह भी दावा था कि उनका मामला काफी मजबूत है, क्योंकि पुलिस ने मामले में सही ढंग से जांच नहीं की है। इसलिये उन्हें एक मौका दिया जाये। सुनवाई पश्चात् न्यायालय ने उक्त निर्देश के साथ दायर याचिका खारिज कर दी। 

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