सरकारी राशन में गेहूं-चावल के दाम बढ़ाने की सिफारिश गलत : विकास

अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी के सचिव विकास उपाध्याय ने संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण 2021 में खाद्य सब्सिडी के खर्च को बहुत अधिक बताते हुए उस सुझाव का विरोध किया है;

Update: 2021-01-31 08:55 GMT

रायपुर। अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी के सचिव विकास उपाध्याय ने संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण 2021 में खाद्य सब्सिडी के खर्च को बहुत अधिक बताते हुए उस सुझाव का विरोध किया है, जिसमें 80 करोड़ गरीब लाभार्थियों को राशन के दुकानों से दिए जाने वाले अनाज के बिक्री मूल्य में बढ़ोतरी की जानी चाहिए।

विकास उपाध्याय ने कहा, कि खाद्य सब्सिडी पर बचत के बजाय जीवन बचाना सरकार की बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार राजस्व बढ़ाने के लिए दूसरे उपायों पर विचार करे। कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय सचिव विकास उपाध्याय ने संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण 2021 पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार अपनी पार्टी की राजनीति चमकाने के लिए अच्छे स्तर पर कार्य कर रही है, परन्तु अर्थव्यवस्था के मामले में पूरी तरह से असफल है।

मोदी सरकार ने सीधे बैंक ट्रांसफर के जरिये कई लाख करोड़ रुपये बांटकर चुपके से तेल के गिरते दामों के बीच एक्साइज टैक्स बढ़ाकर इसकी खाना-पूर्ति कर ली और जिस तेल की कीमत आम उपभोक्ता को सस्ते में मिलना था, उससे वंचित हो गया। यही वजह है कि आम जनता तेल के बढ़ते दामों के बीच मोदी सरकार द्वारा आर्थिक पैकेज के नाम पर बांटे गए पैसे को अपने जेब से भर रही है। उन्होंने कहा, कि आर्थिक सर्वेक्षण 2021 में सबसे निराशा वाली जो सुझाव दिया गया है, उसमें मिलने वाले 80 करोड़ गरीब लाभार्थियों को राशन की दुकानों से अनाज के बिक्री मूल्य में बढ़ोतरी करना है।

उपाध्याय ने कहा, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत सार्वजनित वितरण प्रणाली (पीडीएस) के माध्यम से खाद्यान्न बेहद सस्ती दर पर दिए जाते हैं। इसके तहत राशन की दुकानों से तीन रूपये प्रति किलो चांवल, दो रुपये प्रति किलो गेहूं और एक रुपये प्रति किलो दर से मोटा अनाज दिया जाता है। इस प्रणाली से निचले तक्के के 80 करोड़ गरीब लाभार्थियों को फायदा मिल रहा है।

ऐसे में आर्थिक सर्वेक्षण 2021 के सुझाव में इसमें बढ़ोतरी करना गरीबों के जेब में कोरोना महामारी के बीच जूझ रहे आर्थिक तंगी के बीच डाका डालना होगा। विकास उपाध्याय ने इस सर्वेक्षण में प्रवासी मजदूरों के संकट को लेकर कोई जिक्र नहीं किये जाने को लेकर भी दुर्भाग्य बताया है।

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