छत्तीसगढ़ की मदद के लिए रमन सिंह आगे आएं : रुचिर गर्ग
छत्तीसगढ़ में कोरोना वायरस के खिलाफ जारी लड़ाई के बीच 'लेटर वार' छिड़ गया है;
रायपुर। छत्तीसगढ़ में कोरोना वायरस के खिलाफ जारी लड़ाई के बीच 'लेटर वार' छिड़ गया है। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह द्वारा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को लिखे गए खत का जवाब बघेल के मीडिया सलाहकार रुचिर गर्ग ने दिया है। गर्ग ने रमन सिंह से आग्रह किया है कि वे राज्य की जनता की भलाई की खातिर केंद्र सरकार से कुछ सहायता दिलाएं। पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लॉकडाउन की अवधि तीन मई तक बढ़ाए जाने के ऐलान के बाद एक पत्र मुख्यमंत्री बघेल को लिखा था, जिसमें उन्होंने प्रदेशवासियों के लिए भोजन, राशन, स्वास्थ्य सहित अन्य सुविधाओं के इंतजाम करने का आग्रह किया था।
डॉ. सिंह के पत्र का बघेल के मीडिया सलाहकार गर्ग ने बुधवार को जवाब दिया है। इस पत्र में गर्ग ने कहा है कि "आपका पत्र इस अंदाज में आया है मानो छत्तीसगढ़ सरकार ने कोरोना से निबटने के लिए अब तक कुछ किया नहीं। अफसोस इस बात का भी है कि आपके पत्र की शैली भी सामंती किस्म का आभास देती है। छत्तीसगढ़ के एक आम किसान परिवार से आने वाले मुख्यमंत्री को लिखी गई चिट्ठी का यह अंदाज आम छत्तीसगढ़िया को तो खटकेगा डॉ़ रमन सिंह जी।"
गर्ग ने सीमित संसाधनों के साथ कोरोना के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा लड़ी जा रही लड़ाई का जिक्र करते हुए लिखा है, "कोरोना के खिलाफ देशभर में राज्य सरकारें, अपने ही संसाधनों से मजबूती से मोर्चा संभाले हुए हैं। छत्तीसगढ़ भी उनमें से एक है। केंद्र सरकार से इस संकट के समय सहायता की सहज अपेक्षा थी, पर वो तो नहीं मिल रही है। मंगलवार को प्रधानमंत्री जी के संबोधन ने भी निराश ही किया।"
गर्ग ने डॉ. सिंह को लिखे पत्र में केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, "छत्तीसगढ़ सरकार और अन्य राज्य सरकारें अपने सीमित संसाधनों से कोरोना का मुकाबला कर रही हैं। ऐसे समय में केंद्र सरकार ने क्या किया? मुख्यमंत्री राहत कोष या कोरोना वायरस के लिए राज्य राहत कोष में दिए जाने वाले दान को मौजूदा नियमों का हवाला देते हुए कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी में शामिल नहीं माना। ऐसा क्या सिर्फ इसलिए कि लोग 'पीएम केयर फंड' में दान देते रहें और राज्य सरकारें दानदाताओं को तरसें?"
डॉ. सिंह के राजनीतिक प्रभाव का जिक्र करते हुए गर्ग ने कहा, "डॉ. सिंह भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। बतौर नागरिक आपसे आग्रह है कि आप केंद्र सरकार को इस बात के लिए राजी करें कि मुख्यमंत्री सहायता कोष या राज्य राहत कोष में दिए जाने वाले दान को कार्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी में शामिल किया जाए। इससे बड़े उद्योगपति या व्यावसायिक घराने राज्यों की ओर भी मदद का हाथ बढ़ाएंगे। वहीं आज जीएसटी की क्षतिपूर्ति, केंद्र के नियमित आवंटन, योजनाओं में केंद्र का हिस्सा जैसी मदद तो मांगने की नौबत ही नहीं आनी चाहिए थी, ऊपर से दानदाता भी राज्यों से दूर रहें, यह तो अन्याय ही है। राज्य बचेंगे तभी तो देश बचेगा।"
राज्य सरकार द्वारा कोरोना से निपटने के लिए किए गए प्रयासों का ब्यौरा देते हुए गर्ग ने लिखा, "छत्तीसगढ़ ने तो केंद्र द्वारा घोषित लॉकडाउन से पहले ही एहतियात बरतना शुरू कर दिया था और अपने ही संसाधनों से इस आपदा के ठोस प्रबंधन के उपाय करने शुरू कर दिए थे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगियों और अधिकारियों की प्रतिबद्ध टीम के साथ कोरोना प्रबंधन की खुद ही निगरानी करते हैं और उसके नतीजे भी सामने हैं।"
गर्ग ने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. सिंह के राज्य की स्थिति से वाकिफ होने का हवाला देते हुए आग्रह किया है, "आप भी इस संकट की घड़ी में केंद्र सरकार से कहेंगे कि वह छत्तीसगढ़ की जनता की भलाई के लिए कुछ सहायता उपलब्ध करवाए।"