रजनी पाटिल से राज्यसभा सचिवालय ने पूछा कविता किसकी है
राज्यसभा में बजट सत्र के दूसरे चरण में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर पढ़ी गयी एक कविता “वह कहता था, वह सुनती थी” को लेकर विवाद अब गहराता जा रहा है।;
नयी दिल्ली। राज्यसभा में बजट सत्र के दूसरे चरण में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर पढ़ी गयी एक कविता “वह कहता था, वह सुनती थी” को लेकर विवाद अब गहराता जा रहा है।
राज्यसभा सचिवालय ने गत दिनों कांग्रेस की सदस्य रजनी पाटिल को इस सम्बन्ध में पत्र लिखकर उनसे पूछा गया है कि वह यह बताएं कि उन्होंने आठ मार्च को सदन में अपने भाषण में आखिर किसकी कविता उद्धृत की थी।
पाटिल ने महिला दिवस के अवसर पर चर्चा के दौरान समाज में स्त्री की दशा पर एक कविता पढ़ी और बताया के यह कविता लेखिका अमृता प्रीतम की है जिस पर दुर्ग के कवि शरद कोकास ने आपत्ति की और दावा किया कि यह उनकी कविता है तथा उन्हें इस का श्रेय दिया जाना चाहिए। उन्होंने सोशल मीडिया पर भी इसकी शिकायत की है।
कोकास ने इस बारे में पहले सभापति एम. वेंकैया नायडू को पत्र लिखा और फिर केन्द्रीय पेय जल राज्य मंत्री एस एस अहलुवालिया को भी पत्र लिखकर शिकायत दी। अहलुवालिया ने 16 मार्च को ही नायडू को पत्र लिखा कि अगर यह कविता श्री कोकास की है तो सदन के रिकार्ड को ठीक किया जाये।
नायडू के निर्देश पर राज्यसभा सचिवालय के संयुक्त सचिव चन्द्र शेखर मिश्र ने अब पाटिल को पत्र लिख कर कहा है कि कोकास की यह कविता अगस्त 1995 में नवभारत, रायपुर में और मार्च 1998 में कोलकाता की प्रसिद्ध पत्रिका वागर्थ में छप चुकी है इसलिए वह इस कविता के सम्बन्ध में अपना पक्ष रखें। क्योंकि सदन के आधिकारिक अभिलेख में इस आशय का संशोधन किया जा रहा है।
कोकास ने नायडू को गत दिनों लिखे पत्र में इस प्रकाशित कविता के प्रतिलिपि भी भेजी थी और कहा था कि पिछले 25 साल से वह यह कविता विभिन्न मंचों पर सुनाते रहे हैं और आकाशवाणी आदि में इसका पाठ करते रहे हैं। इसलिए राज्यसभा की कार्यवाही में इसका संसोधन किया जाये।