राजीव हत्याकांड के दोषियों की रिहाई का प्रस्ताव अस्वीकार: केंद्र सरकार

केंद्र ने तमिलनाडु सरकार के उस प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया है जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड के सात दोषियों को रिहा करने का आग्रह किया गया था;

Update: 2018-08-10 16:11 GMT

 नयी दिल्ली। केंद्र ने तमिलनाडु सरकार के उस प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया है जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड के सात दोषियों को रिहा करने का आग्रह किया गया था।

उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की तीन सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष गृह मंत्रालय की तरफ से इससे संबंधित दस्तावेज पेश किया था। खंडपीठ ने इस दस्तावेज का शुक्रवार को अाकलन करने के बाद सुनवाई स्थगित कर दी।

केंद्र सरकार की तरफ से खंडपीठ को बताया गया है कि वह तमिलनाडु सरकार के उस प्रस्ताव का समर्थन नहीं करती है जिसमें राजीव गांधी हत्याकांड के सात दोषियों को रिहा करने का आग्रह किया गया था। गृह मंत्रालय के दस्तावेज में कहा गया है हत्याकांड के दोषियों को माफी दिए जाने से ‘खतरनाक परंपरा’ की शुरुआत होगी और इसके ‘अंतरराष्ट्रीय नतीजे’ होंगे।

दस्तावेज में कहा गया है कि निचली अदालत ने दोषियों को मौत की सजा देने के बारे में ‘ठोस कारण’ दिए हैं। इसमें कहा गया है कि शीर्ष न्यायालय ने भी इस हत्याकांड को देश में हुए अपराधों में सबसे घृणित कृत्य करार दिया था।

पूर्व प्रधानमंत्री की 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरम्बदूर में एक आत्मघाती विस्फोट में उस समय हत्या कर दी गयी थी जब वह एक चुनावी सभा को संबोधित करने पहुंचे थे। आत्मघाती विस्फोट एक महिला ने किया था जिसकी पहचान धनु के रूप में हुई थी। इस हादसे में धनु के अलावा 14 अन्य लोग भी मारे गए थे।

तमिलनाडु सरकार ने 2016 में पत्र लिखा था। उच्चतम न्यायालय ने 23 जनवरी को केंद्र सरकार से इस पर तीन माह के भीतर निर्णय लेने को कहा था। 

इस हत्याकांड में वी श्रीहरण उर्फ मुरुगन, टी सतेंद्र राजा उर्फ संथम, ए जी पेरारिवलन उर्फ अरिवु, राबर्ट पायस पी रविचंद्रन, जयकुमार और नलिनी जेल में हैं। उच्चतम न्यायालय ने 18 फरवरी 2014 को तीन मुजरिमों मुरुगन, संथम और पेरारिवलन की दया याचिकाओं पर फैसला लेने में अत्यधिक विलंब होने की वजह से इनकी फांसी की सजा को उम्रकैद में तबदील कर दिया था।

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