राजस्थान संकट: सुप्रीम कोर्ट सोमवार को करेगा विस्तृत सुनवाई

उच्चतम न्यायालय ने राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने संबंधी राज्य विधानसभा अध्यक्ष का अनुरोध गुरुवार को ठुकरा दिया।;

Update: 2020-07-23 14:23 GMT

नयी दिल्ली । उच्चतम न्यायालय ने राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने संबंधी राज्य विधानसभा अध्यक्ष का अनुरोध गुरुवार को ठुकरा दिया। न्यायालय ने हालांकि, यह स्पष्ट कर दिया कि कांग्रेस नेता सचिन पायलट एवं उनके खेमे के 18 विधायकों के खिलाफ कार्रवाई के मामले में उच्च न्यायालय का कोई भी फैसला शीर्ष अदालत के अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगा।

न्यायमूर्ति अरुण कुमार मिश्रा, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की खंडपीठ ने विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल तथा पायलट खेमे की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और मुकुल रोहतगी की दलीलें सुनने के बाद कहा कि वह इस मामले में सोमवार को विस्तृत सुनवाई करेगी। इस बीच उच्च न्यायालय के मंगलवार के आदेश पर रोक नहीं लगेगी।

शीर्ष अदालत ने कहा कि वह इस बाबत सुनवाई करेगी कि क्या उच्च न्यायालय सदन के अध्यक्ष के नोटिस के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर सकता है या नहीं? खंडपीठ अध्यक्ष के अधिकार बनाम अदालत के क्षेत्राधिकार जैसे महत्वपूर्ण सवाल पर विचार करेगी। न्यायालय ने हालांकि यह भी स्पष्ट कर दिया कि उच्च न्यायालय का 24 जुलाई का कोई भी फैसला इस मामले में शीर्ष अदालत के अंतिम फैसले पर निर्भर करेगा।

विधानसभा अध्यक्ष ने राजस्थान उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें उसने शुक्रवार तक सचिन पायलट और उनके खेमे के 18 विधायकों के खिलाफ कार्रवाई पर रोक लगा दी है। याचिका में कहा गया है कि उच्च न्यायालय विधानसभा अध्यक्ष को सचिन गुट पर कार्रवाई करने से नहीं रोक सकता। न्यायालय का कल का आदेश न्यायपालिका और विधायिका में टकराव पैदा करता है।
 
सुनवाई की शुरुआत में श्री सिब्बल ने विधानसभा अध्यक्ष का पक्ष रखते हुए 1992 के किहोटो होलोहॉन मामले में उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ के फैसले का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि उस फैसले के मुताबिक विधायकों की अयोग्यता के मसले पर अध्यक्ष का फैसला आने से पहले न्यायालय दखल नहीं दे सकता। अयोग्य ठहराने की प्रकिया पूरी होने से पहले अदालत में दायर कोई भी याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।

श्री सिब्बल ने शीर्ष अदालत के एक अन्य मामले में हाल ही में किये गये फैसले का भी हवाला दिया जिसमें अध्यक्ष से एक उचित समय के भीतर फ़ैसला लेने का आग्रह किया गया था, न कि उन्हें कोई आदेश दिया गया था और न ही उन्हें तय तारीख़ पर अयोग्य घोषित करने की प्रक्रिया पूरी करने या रोकने के लिए कहा गया था।

इस पर न्यायमूर्ति मिश्रा ने श्री सिब्बल से पूछा, “इस मामले में विधायकों को किस आधार पर अयोग्य ठहराये जाने की मांग की गयी है? पूर्व कानून मंत्री ने कहा कि ये विधायक पार्टी की बैठक में शामिल नहीं हुए। वे पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं। उन्होंने साक्षात्कार दिया है कि वे बहुमत परीक्षण चाहते हैं। वे हरियाणा के एक होटल में ठहरे हुए हैं। वह अपनी एक अलग पार्टी बनाने की साज़िश में लगे हुए हैं और राज्य की मौजूदा सरकार को गिराना चाहते हैं।”

न्यायमूर्ति मिश्रा ने एक बार फिर श्री सिब्बल से पूछा, “पार्टी के भीतर लोकतंत्र पर आपकी क्या राय है? क्या पार्टी की बैठक में भाग लेने के लिए ह्विप जारी किया जा सकता है?”
 

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