लोकसभा चुनाव में हार के बाद राहुल बुधवार को अमेठी दौरे पर
लोकसभा चुनाव में अमेठी संसदीय सीट पर केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से हारने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी बुधवार को अपनी पहली यात्रा पर यहां आएंगे;
अमेठी। लोकसभा चुनाव में अमेठी संसदीय सीट पर केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से हारने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी बुधवार को अपनी पहली यात्रा पर यहां आएंगे।
केरल प्रान्त के वायनाड सीट से मौजूदा सांसद गांधी 15 साल तक अमेठी संसदीय सीट से सांसद रहे। अमेठी संसदीय सीट से इस वर्ष हुये लोकसभा चुनाव में हार मिलने के बाद पहली बार वे एक दिवसीय दौरे पर बुधवार को यहां आयेंगे। इस दौरान श्री गांधी पार्टी कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगे और चुनाव में मिली हार के कारणों का पता लगायेंगे।
जिला कांग्रेस प्रवक्ता अनिल सिंह ने यहां बताया कि श्री गांधी गौरीगंज में निर्मला देवी शैक्षिक संस्थान में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे। कांग्रेस ने इससे पहले पार्टी के गढ़ अमेठी में हार के काराणों का पता लगाने के लिये दो सदस्यीय पैनल का गठन किया था, जिसमें संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (सप्रग) अध्यक्ष सोनिया गांधी के प्रतिनिधि के एल शर्मा और एआईसीसी सचिव जुबैर खान शामिल थे। दो सदसीय पैनल के निष्कर्षों के अनुसार, समाजवादी पार्टी(सपा) और बहुजन समाज पार्टी(बसपा) के कार्यकर्ताओं द्वारा जमीनी स्तर पर '' असहयोग '' को चुनाव के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था। सपा और बसपा ने लोकसभा चुनाव में गठबंधन किया था। गठबंधन ने कांग्रेस को समर्थन देने के लिये अमेठी और रायबरेली सीट से कोई उम्मीदवार चुनाव मैदान में नही उतारा था।
स्थानीय नेताओं ने कथित तौर पर यह भी दावा किया कि श्री गांधी की हार का कारण बसपा द्वारा कोई उम्मीदवार चुनाव मैदान में नही उतारना भी था। भले ही श्री गांधी को वर्ष 2014 हुये चुनाव से अधिक वोट मिले। पैनल को बताया गया कि बसपा उम्मीदवार के न होने से उनकी पार्टी के वोट कांग्रेस को ट्रांसफर होने के बजाय भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) उम्मीदवार को हो गये।
एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने यहां तक कहा '' पार्टी प्रमुख ने 2014 में 4,08,651 वोट हासिल किए थे, जबकि 2019 में उन्हें 4, 13,994 वोट मिले थे। 2014 में अमेठी से बसपा उम्मीदवार को लगभग 57,000 वोट मिले थे। इस बार श्री गांधी अमेठी सीट से लगभग 55,000 से हार गये। '’
स्थानीय कांग्रेस नेता योगेंद्र मिश्रा ने कहा '' बसपा का उम्मीदवार न होने कारण वोट कांग्रेस में जाने के बजाय भाजपा में स्थानांतरित हो गए। साथ ही, सपा सरकार में खनन मंत्री व गायत्री प्रजापति के बेटे और गौरीगंज से सपा विधायक राकेश प्रताप सिंह ने भाजपा को अपना समर्थन दिया था। श्री सिंह ने नेतृत्व से निर्देश प्राप्त करने के बाद श्री गांधी को समर्थन दिया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।”