राहुल ने अब्दुल्ला की हिरासत की निंदा की, तत्काल रिहाई की मांग की

जम्मू और कश्मीर प्रशासन द्वारा फारूख को कठोर पीएसए के तहत हिरासत में लेने की जानकारी देने के एक दिन बाद राहुल ने मोदी सरकार पर राष्ट्रवादी नेताओं को राजनीति से बाहर करने की कोशिश करने का आरोप लगाया;

Update: 2019-09-18 00:00 GMT

नई दिल्ली। जम्मू और कश्मीर प्रशासन द्वारा राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्ला को कठोर सार्वजनिक सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत हिरासत में लेने की जानकारी देने के एक दिन बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर राष्ट्रवादी नेताओं को राजनीति से बाहर करने की कोशिश करने का आरोप लगाया और कहा कि इससे राजनीतिक खालीपन पैदा होगा, जो आतंकवादियों द्वारा भरा जाएगा। उन्होंने इसके अलावा अब्दुल्ला की तुरंत रिहाई की मांग की।

सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए राहुल गांधी ने श्रंखलाबद्ध ट्वीट में कहा, "यह स्पष्ट है कि सरकार जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक खालीपन पैदा करने के लिए फारूख अब्दुल्ला जी जैसे राष्ट्रवादी नेताओं को हटाने की कोशिश कर रही है, जो आतंकवादियों द्वारा भरा जाएगा। तब कश्मीर को स्थायी रूप से शेष भारत के ध्रुवीकरण के लिए एक राजनीतिक साधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।"

एक अन्य ट्वीट में कांग्रेसी नेता ने कहा, "सरकार को आतंकवादियों के लिए जगह बनाना बंद कर देना चाहिए और सभी राष्ट्रवादी नेताओं को जल्द से जल्द रिहा करना चाहिए।"

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सोमवार को कहा कि उसने नेशनल कॉन्फ्रेंस के संरक्षक फारूख अब्दुल्ला पर 15 दिनों के लिए कठोर पीएसए के प्रावधान लागू किए हैं।

यह कदम सुप्रीम कोर्ट द्वारा सोमवार को केंद्र सरकार को एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर नोटिस जारी करने के घंटों बाद उठाया गया है।

जम्मू और कश्मीर के सरकारी अधिकारियों के मुताबिक, अब्दुल्ला पर पीएसए लगाने के बाद उनके निवास को रविवार देर रात से उप-जेल में बदल दिया गया है।

जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से ही अब्दुल्ला के अलावा पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला, महबुबा मुफ्ती समेत कई अन्य नेताओं को घर में नजरबंद कर दिया गया है।

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