कांग्रेस ने 5 जनवरी से नई योजना के खिलाफ देशव्यापी अभियान शुरू करने का किया ऐलान, हस्ताक्षर अभियान और विरोध प्रदर्शन भी शामिल

पंजाब में गुरदासपुर लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस सांसद और पंजाब के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने मंगलवार को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को 'विकसित भारत-रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण)' योजना से बदलने के लिए केंद्र की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि इस कदम से काम के अधिकार को कमजोर किया गया है और निर्णय लेने की प्रक्रिया केंद्रीकृत हो गयी है;

Update: 2025-12-30 13:13 GMT

कांग्रेस पांच जनवरी से नयी योजना के खिलाफ देशव्यापी अभियान शुरू करेगी: रंधावा

होशियारपुर। पंजाब में गुरदासपुर लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस सांसद और पंजाब के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने मंगलवार को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को 'विकसित भारत-रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण)' योजना से बदलने के लिए केंद्र की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि इस कदम से काम के अधिकार को कमजोर किया गया है और निर्णय लेने की प्रक्रिया केंद्रीकृत हो गयी है।

यहां कांग्रेस पार्टी कार्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए रंधावा ने कहा कि नया कानून संसद में दो दिनों के भीतर पारित कर जल्दबाजी में अधिसूचित और लागू कर दिया गया, जिससे जनता में असंतोष फैल गया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के दौरान शुरू की गयी, मनरेगा योजना ने ग्रामीण परिवारों को रोजगार का अधिकार और 125 दिनों तक काम की गारंटी दी थी। उन्होंने कहा कि मनरेगा के तहत, परियोजनाएं गांवों और राज्यों द्वारा स्थानीय जरूरतों के आधार पर तय की जाती थीं और उसी के अनुसार बजट आवंटित किया जाता था। उन्होंने आरोप लगाया, “नयी योजना इस प्रक्रिया को उलट देती है। अब केंद्र पहले बजट तय करेगा और यह निर्धारित करेगा कि किस प्रकार के कार्य किये जा सकते हैं, जिससे गांवों और राज्यों की राय न के बराबर रह जाएगी।”

रंधावा ने कहा कि डेरा बाबा नानक क्षेत्र के गांवों में कई विकास कार्य, जिनमें सीचेवाल मॉडल के तहत तालाबों का जीर्णोद्धार भी शामिल है, पूरी तरह से मनरेगा निधि का उपयोग करके किए गए थे, जिसमें राज्य के खजाने से कोई योगदान नहीं लिया गया था। उन्होंने केंद्र पर कल्याणकारी योजनाओं को धीरे-धीरे वापस लेने का भी आरोप लगाया, जिसमें 2022 के बाद सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम को कमजोर करना और अंततः बंद करना और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में बदलाव शामिल हैं, जिसके तहत अब केवल नई संपर्क सड़कों का निर्माण किया जा रहा है।

कोविड-19 लॉकडाउन का जिक्र करते हुए रंधावा ने कहा कि जब आर्थिक गतिविधियां ठप हो गयीं थीं, तब मनरेगा ने ग्रामीण गरीबों को आजीविका के लिए महत्वपूर्ण सहायता प्रदान की थी। उन्होंने दावा किया कि पंजाब में पिछले साल इस योजना के तहत केवल 27 प्रतिशत लाभार्थियों को ही काम मिला। सामाजिक लेखापरीक्षाओं के खराब कार्यान्वयन का आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य की 13,000 से अधिक पंचायतों में से केवल 5,000 में ही लेखा परीक्षाएं पूरी हुई हैं। उन्होंने कहा, “न तो राज्य सरकार और न ही केंद्र सरकार उचित कार्यान्वयन को लेकर गंभीर नजर आ रही है।”

रंधावा ने केंद्र सरकार द्वारा 16.35 लाख करोड़ रुपये के उन ऋणों को माफ करने की भी आलोचना की, जिन्हें गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) के रूप में वर्गीकृत किया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि इन्हीं संसाधनों से मनरेगा योजना को वर्षों तक चलाया जा सकता था और श्रमिकों के लिए उच्च दैनिक मजदूरी सुनिश्चित की जा सकती थी। उन्होंने चेतावनी दी कि इस योजना को कमजोर करने या बंद करने से करोड़ों ग्रामीण परिवारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और आर्थिक असमानता और बढ़ेगी।

राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर रंधावा ने कहा कि पाकिस्तान भारत के खिलाफ परोक्ष युद्ध छेड़ रहा है और उन्होंने जोर देकर कहा कि देश को अपनी सशस्त्र सेनाओं को मजबूत करने की जरूरत है, खासकर पंजाब के सीमावर्ती राज्य होने के कारण। उन्होंने कहा कि बड़े उद्योगों को ऋण माफी देने के बजाय रक्षा के लिए अधिक धनराशि आवंटित की जानी चाहिए।

उन्होंने घोषणा की कि कांग्रेस पांच जनवरी से नयी योजना के खिलाफ देशव्यापी अभियान शुरू करेगी, जिसमें लाभार्थियों के बीच हस्ताक्षर अभियान और देश भर में विरोध प्रदर्शन शामिल होंगे, जिसमें कानून को वापस लेने की मांग की जाएगी।

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