28 घंटे बाद किया पोस्टमार्टम, खुले में छोड़ दिया महिला का शव

बलरामपुर जिला मुख्यालय से 7 किलोमीटर दूर  ग्राम जाबारखाण्ड पंचायत जाबार की है जहां 18 सितंबर की सुबह अफरातफरी मच गयी;

Update: 2017-09-21 17:01 GMT

बलरामपुर। बलरामपुर जिला मुख्यालय से 7 किलोमीटर दूर  ग्राम जाबारखाण्ड पंचायत जाबार की है जहां 18 सितंबर की सुबह अफरातफरी मच गयी। जब लोगों ने घर के पास ही संगीता देवी 32 वर्ष पति बिन्दु मेहता को कुएं मे मृत पायी गयी तथा पति ने ही मृत्यु की सूचना थाना बलरामपुर में किया।

पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार घटाना 18 सितंबर की सुबह करीब 6 बजे की है। बिन्दु मेहता ने पुलिस को फोन पर जानकारी दी कि उन्होंने अपनी पत्नी संगीता देवी को घर से कुछ दूर में ही एक कुएं में मृत पाया है। घटना स्थल पर पहुंच कर पुलिस ने मामले का जायजा लिया तथा मृत महिला को कुएं से निकलवाया। जहां से शव को जिला शव परीक्षण गृह भेज दिया गया।

दूसरी ओर इस घटना में जिला अस्पताल प्रशासन निष्ठुर तथा असंवेदनशील दिखाई दे रही है। 18 सितंबर की सुबह 8 बजे लाए गए शव का परीक्षण 19 सितंबर को 28 घंटे बाद दोपहर 12 बजे किया गया। शव को बंद कर बिना किसी सुरक्षा के शव परीक्षण गृह में छोड़ दिया गया था जिसकी खिड़कियां खुली थी। चूँकि शव परीक्षण गृह शहर से बाहर वीराने में है यदि कोई जंगली जानवार शव को क्षति पहुंचा देते या उठा ले जाते, इसकी जिम्मेदारी कौन लेता। विलंब क्यों हुआ इसकी कोई ठोस जानकारी नहीं मिल पाया है, अस्पताल प्रशासन ने बताया कि महिला डॉक्टर के अभाव से शव परीक्षण नहीं हो पाया था। शव परीक्षण गृह की ओर रहने वालों का कहना यह भी है कि कई बार शव परीक्षण बाहर खुले में भी किया गया है क्योंकि कमरे के अंदर पुल बनाने वाले ठेकेदार ने अपना छड़, सीमेंट रखा था। इस पूरे घटना में मृतका के पिता जयगोविंद मेहता 59 वर्ष ने आत्म हत्या नहीं पर हत्या की शंका जतायी है। उन्होंने बताया कि उकना दामाद बिन्दु मेहता 2008 में शादी होने के बाद से ही शारीरिक तथा मानसिक प्रताड़ना दिया करता था जिसके विषय में दो बार थाने में रिपोर्ट भी लिखायी गयी और व्यवहार न्यायालय में पेश किया गया तथा समझौता भी हुआ। पहली बार बिन्दु मेहता द्वारा 22 मई 2013 को नशे में गालियां दी तथा हाथ, लात, घुसे से मारा गया, जिसमे सिर, पीठ, हाथ और पैरों में गंभीर चोटें आई 50000 रुपये नगद तथा एक मोटर साइकिल की मांग रखी गयी। संगीता देवी का खाना कपड़ा बंद कर दिया। मांग पूरा नहीं होने पर दूसरी शादी करूंगा कह कर धमकी भी दी गई थी। दूसरी बार 6 दिसंबर 2013 को वैसे ही मारपीट की गयी, जिसकी शिकायत पुन: थाने में करायी गयी क्योंकि पति-पत्नी का झगड़ा था इसलिए पुलिस इस मामले को सुलझाने के लिए व्यवहार न्यायालय में पेश किया जहां समझा गया और बिंदु मेहता नें माफी भी मांगी और दुबारा गलती नहीं होने का भरोसा दिया, परंतु मारपीट की घटना रुकी ही नहीं। प्रत्यक्षदर्शियों ने यह भी बताया कि जब सुबह कुएं से संगीता देवी का शव निकाला गया तो उसका पेट फुला हुआ नहीं दिख रहा था उसके नाक से खून बह रही थी, जबकि डूबे व्यक्ति के पेट से पानी निकालनी चाहिए। परिजनों ने आरोप लगाते हुए कहा है कि मृतिका की आंखे भी क्षतिग्रस्त थी। 

सारी बातों को ध्यान में रखते हुए हुए विचारा जाये तो घटना गंभीर है और एक दूसरी वारदात की ओर इशारा करती है। वही जिला अस्पताल की भी रवैया उजागर करती है कि अस्पताल प्रशासन कितनी निष्ठुर, अमानवीय और कर्तव्यहीन हो गई है। अस्पताल जैसे सेवा संस्थान की मर्यादा को छिन्न भिन्न करती है जब एक महिला का शव वीरान में 28 बिना सुरक्षा के छोड़ दी जाती है। इंसान किस पर भरोसा करे।

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