शिशु बाटिका छात्रों को मिलेगा मुफ्त यूनिफॉर्म, ओडिशा सरकार की नई पहल
सरकारी स्कूलों में नामांकन को बढ़ावा देने और स्कूल छोड़ने की दर को कम करने के लिए ओडिशा सरकार ने एक नई पहल की घोषणा की है;
स्कूल छोड़ने की दर घटाने के लिए ओडिशा सरकार का बड़ा कदम
- प्रारंभिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए ओडिशा में मुफ्त वर्दी योजना शुरू
- ‘चलो स्कूल चलें’ अभियान को मजबूती, शिशु बाटिका बच्चों को मिलेगा पूरा सहयोग
- ओडिशा सरकार ने बच्चों की शिक्षा को सशक्त करने के लिए उठाया ठोस कदम
भुवनेश्वर। सरकारी स्कूलों में नामांकन को बढ़ावा देने और स्कूल छोड़ने की दर को कम करने के लिए ओडिशा सरकार ने एक नई पहल की घोषणा की है। जिसके तहत शिशु बाटिका (पूर्व-प्राथमिक कक्षाओं) में दाखिल लिए बच्चों को मुफ्त वर्दी और अन्य आवश्यक वस्तुएं मिलेंगी।
स्कूल एवं शिक्षा मंत्री नित्यानंद गोंड ने बताया कि इस योजना से राज्य के 45,000 प्राथमिक विद्यालयों में शिशु बाटिका कक्षाओं में नामांकित कुल 3,10,849 बच्चे लाभान्वित होंगे। प्रत्येक बच्चे को निःशुल्क यूनिफ़ॉर्म, जूते, मोजे और ट्रैक पैंट उपलब्ध कराए जाएंगे।
राज्य सरकार ने इस पहल के तहत प्रति बच्चे 1,000 रुपए आवंटित किए हैं। मंत्री गोंड ने कहा कि स्कूल एवं जन शिक्षा विभाग इस योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए एक व्यापक योजना तैयार कर रहा है।
उन्होंने भरोसा व्यक्त किया कि यह कदम बच्चों को नियमित रूप से स्कूल जाने के लिए प्रेरित करेगा और सीखने की आदत को विकसित करेगा। इससे छात्रों को खुशी-खुशी स्कूल जाने और स्कूल छोड़ने की प्रवृत्ति में कमी लाने में मदद मिलेगी।
मंत्री नित्यानंद गोंड ने कहा कि हमारा लक्ष्य बच्चों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करके स्कूली शिक्षा को जवाबदेह बनाना और स्कूल छोड़ने की दर में कमी लाना है।
ओडिशा सरकार के इस पहल का उद्देश्य प्रारंभिक शिक्षा हासिल कर रहे बच्चों को वित्तीय बाधाओं के बिना गुणवत्तापूर्ण स्कूली शिक्षा उपलब्ध कराना है।
इससे पहले ओडिशा स्कूल एवं जन शिक्षा विभाग ने शैक्षणिक वर्ष 2025-26 के दौरान स्कूल छोड़ने वालों की समस्या को कम करने के लिए "आसा स्कूल जिबा" (चलो स्कूल चलें) नामक एक राज्यव्यापी पहल शुरू की है।
इस अभियान के तहत राज्य भर में अभिभावकों, शिक्षकों और स्कूल प्रबंधन एवं विकास समितियों (एसएमडीसी) की विशेष बैठकें आयोजित की गई।
इन बैठकों का उद्देश्य स्कूल न जाने वाले बच्चों को मुख्यधारा की शिक्षा प्रणाली में फिर से शामिल करना, उनके आयु के आधार पर कक्षाओं में नामांकन सुनिश्चित करना और छात्रों को अपनी पढ़ाई छोड़ने से रोकना है।