मध्यप्रदेश में 'पॉलीटिकल ड्रामा' और आरोप प्रत्यारोप जारी
मध्यप्रदेश में पिछले दो सप्ताह से चल रहा राजनैतिक महासंग्राम अभी भी जारी है और अब सभी की निगाहें आज उच्चतम न्यायालय में होने वाली सुनवायी पर टिकी हुयी हैं।;
भोपाल। मध्यप्रदेश में पिछले दो सप्ताह से चल रहा राजनैतिक महासंग्राम अभी भी जारी है और अब सभी की निगाहें आज उच्चतम न्यायालय में होने वाली सुनवायी पर टिकी हुयी हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और अन्य की ओर से दायर याचिकाओं पर आज दिल्ली में उच्चतम न्यायालय में सुनवायी होना है। राज्य से जुड़े घटनाक्रमों पर कई अन्य लोगों की आेर से भी याचिकाएं लगायी गयी हैं।
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह अपने साथियों के साथ बंगलूर पहुंच गए हैं। कांग्रेस विधायकों को यहां एक होटल में सख्त सुरक्षा प्रबंधों के बीच रुकवाया गया है। तो भाजपा के एक सौ से अधिक विधायक भोपाल से लगभग 45 किलोमीटर दूर सीहोर के पास एक होटल में रुके हुए हैं।
दूसरी ओर राज्यपाल लालजी टंडन ने कल रात दो बजे बात विधानसभा अध्यक्ष एन पी प्रजापति को पत्र लिखकर कुछ घंटे पहले उनके (श्री प्रजापति) द्वारा लिखे गए पत्र का जवाब दिया। इसके पूर्व राज्यपाल और मुख्यमंत्री कमलनाथ के बीच भी दो बार पत्राचार हो गया है। राज्यपाल ने श्री कमलनाथ से सदन में बहुमत साबित करने के निर्देश दिए हैं।
ताजा राजनैतिक घटनाक्रमों के बीच जहां पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह अपने सहयोगियों के साथ बंगलूर पहुंचे और उन्होंने उस रिसार्ट में प्रवेश का प्रयास किया, जहां पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेकर कुछ समय बाद रिहा कर दिया गया।
इस बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट के माध्यम से कहा कि बंगलूर में भाजपा द्वारा 'बंधक' बनाये गये कांग्रेस विधायकों से मिलने गये कांग्रेस के राज्यसभा उम्मीदवार दिग्विजय सिंह व कांग्रेस के मंत्रियों, विधायकों को मिलने से रोकना, उनसे अभद्र व्यवहार करना, उन्हें बलपूर्वक हिरासत में लेना पूरी तरह से 'तानाशाही व हिटलरशाही' है।
श्री कमलनाथ ने आरोप लगाते हुए कहा कि पूरा देश आज देख रहा है कि एक चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने के लिये किस प्रकार से भाजपा द्वारा लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या की जा रही है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि क्यों विधायकों से मिलने नहीं दिया जा रहा है। आख़िर किस बात का डर भाजपा को है। उनका आरोप है कि भाजपा द्वारा एक गंदा खेल प्रदेश में खेला जा रहा है। लोकतांत्रिक मूल्यों, संवैधानिक मूल्यों व अधिकारों का दमन किया जा रहा है। उन्होंने हिरासत में लिये गये नेताओं को शीघ्र रिहा करने और विधायकों से मिलने की इजाज़त दिए जाने की मांग की है।
दूसरी ओर बंगलूर में मौजूद विधायकों और पूर्व विधायकों के वीडियो आज फिर सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रहे हैं, जिसमें ये नेता कह रहे हैं कि श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ जाने और अपने त्यागपत्र पर अडिग हैं। ये नेता कहते हुए सुने गए कि वे श्री दिग्विजय सिंह से मिलना नहीं चाहते हैं और वे अपने दल बल समेत वापस लौट जाएं।
बंगलूर में कांग्रेस के 22 विधायक एवं पूर्व विधायकों के एक होटल में रुके हुए हैं। इन सभी 22 विधायकों ने त्यागपत्र दे दिए हैं, जिनमें से छह विधायकों के त्यागपत्र विधानसभा अध्यक्ष ने स्वीकार भी कर लिए हैं। शेष 16 विधायकों के त्यागपत्र अभी तक स्वीकार नहीं किए गए हैं। माना जा रहा है कि मौजूदा सरकार के अभूतपूर्व संकट में आने की सबसे बड़ी वजह कांग्रेस विधायकों के त्यागपत्र ही हैं। ये विधायक वरिष्ठ नेता एवं कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाले श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक हैं। जिन छह विधायकों के त्यागपत्र स्वीकार हुए हैं, वे कमलनाथ सरकार में मंत्री भी थे, जिन्हें बर्खास्त कर दिया गया है।
दूसरी ओर भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और वरिष्ठ विधायक नरोत्तम मिश्रा लगातार कहते आ रहे हैं कि कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गयी है। सरकार राज्यपाल के निर्देश के बावजूद सदन में बहुमत साबित नहीं कर रही है और वह अल्पमत में होने के बावजूद संवैधानिक संस्थाओं में नियुक्तियां और तबादले कर रही है। श्री चौहान ने कहा कि ये ठीक नहीं है और नयी सरकार आते ही सभी नियुक्तियां रद्द की जाएंगी।
श्री चौहान ने तो कल बाकायदा एक वीडियो जारी कर चेतावनी भरे लहजे में कहा है कि उनके पास लगातार सूचनाएं आ रही हैं कि कुछ अधिकारी सत्तारूढ़ दल कांग्रेस के पक्ष में नियम विरूद्ध कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह उचित नहीं है और सरकार बदलने पर एेसे सभी अधिकारियों को देखा जाएगा। उनके पास ऐसे सभी अधिकारियों के नाम भी हैं।