रफायल विमान सौदे में हुए खुलासे पर पीएम मोदी को देनी चाहिए सफाई: कांग्रेस

कांग्रेस ने कहा है कि ताजा खुलासे से साफ हो गया है कि 60 हजार करोड़ रुपए के रफायल विमानों की खरीद में बड़े स्तर पर दलाली हुई है और इसमें सरकार ने अपने पूंजीपति मित्रों को फायदा पहुंचाने का काम किया है;

Update: 2021-04-05 18:33 GMT

नयी दिल्ली। कांग्रेस ने कहा है कि ताजा खुलासे से साफ हो गया है कि 60 हजार करोड़ रुपए के रफायल विमानों की खरीद में बड़े स्तर पर दलाली हुई है और इसमें सरकार ने अपने पूंजीपति मित्रों को फायदा पहुंचाने का काम किया है, इसलिए खुलासे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सफाई देनी चाहिए।

Let the PM answer:
1- Was the payment of €1.1 Million shown by Dassault as ‘Gifts to Clients’ in reality a commission paid to the middleman for the Rafale Deal?: Shri @rssurjewala#RafaleScam pic.twitter.com/ZTurbLA1ni

— Congress (@INCIndia) April 5, 2021

कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख रणदीपसिंह सुरजेवाला ने सोमवार को यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि फ्रांस के समाचार माध्यम मीडियापार्ट ने दावा किया है कि 2016 में जब भारत-फ्रांस के बीच रफायल लड़ाकू विमान को लेकर समझौता हुआ। इस समझौते के बाद इस खरीद में बिचौलिया का काम करने वाली भारत की एक कंपनी को दलाली के तौर पर 10 लाख यूरो का भुगतान किया गया।

हमारे सवाल:

- 'दसॉल्ट' द्वारा 1.1 मिलियन यूरो की राशि जो अपनी बैलेंस शीट में 'गिफ्ट टू क्लाइंट' दिखाई गई है, क्या यह वास्तव में बिचौलिए को दिया गया कमीशन नहीं है? : श्री @rssurjewala #RafaleScam pic.twitter.com/JxBFaOjlu9

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उन्होंने कहा कि रफायल सौदे में दलाली का खुलासा तब हुआ जब फ्रांस के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने विमान बनाने वाली कंपनी दसॉल्ट के खातों का ऑडिट किया। इस ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर मीडियापार्ट ने अपनी खबर में दावा किया है कि 2016 में रफायल  विमान सौदे से जुड़ी सारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद कंपनी की तरफ से ‘उपहार’ स्वरूप यह राशि भारत के एक बिचौलिया को दी गयी थी।

फ्रांस की भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी ने 'दसॉल्ट' से 3 सवाल पूछे:

- आप खुद जहाज बना सकते हो तो उसका मॉडल बनाने के लिए एक मॉडल पर 20 हज़ार यूरो का कॉन्ट्रैक्ट हिंदुस्तान की कंपनी को देने की क्या जरूरत थी? : श्री @rssurjewala #RafaleScam pic.twitter.com/IQXw8L9mjx

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कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि 23 सितम्बर 2016 में ऑडिट से पता चला कि कंपनी ने 10 लाख यूरो का भुगतान किया और उसे उपहार बताया गया। उसके बाद 30 मार्च 2017 को रफायल कंपनी ने एक बयान में कहा था कि उसने यह पैसा रफायल का मॉडल बनाने के लिए दिया था। सवाल यह है कि जो कंपनी खुद विमान बनाती है तो उसने भारत की कंपनी को मॉडल बनाने का आदेश क्यों दिया और इस राशि को उपहार क्यों कहा गया।

 

अब स्पष्ट है कि 60 हज़ार करोड रुपए से अधिक के सबसे बड़े रक्षा सौदे में; सरकारी खजाने को नुकसान, राष्ट्रीय हितों से खिलवाड़, क्रोनी कैपिटलिज्म की संस्कृति, कमीशन खोरी और बिचौलियों की मौजूदगी की चमत्कारी गाथा अब देश के सामने है : श्री @rssurjewala#RafaleScam pic.twitter.com/1B22tRUu67

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फ्रांस की 'एंटी करप्शन एजेंसी' (AFA) ने जब 'डसॉल्ट कंपनी' जो राफेल के फाइटर एयरक्राफ्ट बनाती है, उसका ऑडिट किया तो उसमें पाया कि 23 सितम्बर 2016 के चंद महीनों के अन्दर राफेल ने 1.1 मिलियन यूरो एक मिडिल मैन को दिए थे : श्री @rssurjewala#RafaleScam pic.twitter.com/QiZfL6KGhv

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सुरजेवाला ने इसे गोपनीय लेन-देन करार दिया और सवाल किया कि क्या जिस राशि को बिचौलियों को देने की बात की जा रही है, क्या यह पैसा सचमुच भारतीय दलाल को दिया गया। रक्षा सौदे में हुए इस खुलासे से क्या सरकार स्वीकार करेगी कि दलाली ली गयी है। उनका कहना था कि यदि यह घोटाला हुआ है तो क्या इसकी जांच नहीं होनी चाहिए और इस संबंध में प्राथमिकी दर्ज नहीं की जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि जिस कंपनी को यह पैसा दिये जाने की बात है, भारत की वह कंपनी मॉडल नहीं बनाती है। अगर पैसा दिया भी गया है तो उसे उपहार क्यों कहा गया। उन्होंने कहा कि इस रक्षा सौदे में देश के खजाने को नुकसान पहुंचाने का काम हुआ है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस सौदे में जो आरोप लगा रहे थे, वे सही साबित हुए हैं और सरकार इस मामले में अब लीपापोती कर बच नहीं सकती है।

प्रवक्ता ने एक सवाल पर कहा कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट पहले से ही संदिग्ध दी और इस पर सवाल उठना स्वाभाविक है। वह एक कागज का पुलिंदा बन कर रह गया है। कैग की रिपोर्ट से लगता है कि उसने सरकार को बचाने का पूरा प्रयास किया है। उसकी रिपोर्ट से कई तथ्य हटाए गये हैं। इस मामले में क्या हुआ कैग, सरकार, रक्षा मंत्री और प्रधानमंत्री कुछ बताने को तैयार ही नहीं थे और अब जब रिपोर्ट सामने आ गयी है तो सरकार को चुप्पी तोड़नी चाहिए और श्री मोदी को देश को स्थिति बतानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि इस मामले की समग्रता से जांच होनी चाहिए। उनका कहना था कि रक्षा सौदा और इसमें विमान आदि की कीमत गोपनीय होती है और उनकी पार्टी सरकार से यह हिसाब भी नहीं मांग रही है लेकिन इस मामले में जो खुलासा हुआ है, उसकी बारीकी से जांच होना जरूरी है। इस मामले में असलियत क्या है, यह तथ्य देश के सामने आना चाहिए और खुद प्रधानमंत्री को इस संबंध में देश को जवाब देना चाहिए।

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