प्लास्टिक चावल की शिकायत महज अफवाह-प्रशासन

 मध्याह्न भोजन के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली द्वारा वितरित चावल की गुणवत्ता को लेकर आधे दर्जन से अधिक स्कूलों से आई शिकायतों पर जिला प्रशासन ने संबंधित विभाग के द्वारा प्रयोगशाला से परीक्षण कराया गया;

Update: 2017-07-24 15:51 GMT

जांजगीर। मध्याह्न भोजन के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली द्वारा वितरित चावल की गुणवत्ता को लेकर आधे दर्जन से अधिक स्कूलों से आई शिकायतों पर जिला प्रशासन ने संबंधित विभाग के द्वारा सेम्पल एकत्रित करा औषधि प्रशासन विभाग कालीबाड़ी रायपुर के प्रयोगशाला से परीक्षण कराया गया।

जहां कथित प्लास्टिक चावल की शिकायत महज अफवाह ही निकली है। इस संबंध में आज अधिकारिक बयान जिला प्रशासन की ओर से जारी करते हुये शिकायत का खण्डन किया गया है। 

जिले में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत शासकीय उचित मूल्य दुकानों में प्लास्टिक चावल वितरण वाली बात केवल अफवाह है। शासकीय उचित मूल्य की दुकान से प्लास्टिक चावल वितरण तथा मध्यान्ह भोजन में प्लास्टिक चावल मिलने की शिकायत होने पर खाद्य विभाग, पंचायत विभाग, नागरिक आपूर्ति निगम, भारतीय खाद्य निगम एवं औषधि प्रशासन विभाग के अधिकारियों की टीम गठित कर सत्यता की जांच कराई गई।

सहायक खाद्य अधिकारी राजेश शर्मा ने बताया कि जांच में चावल में प्लास्टिक जैसी कोई वस्तु नहीं पाई गई। स्कूलों का चावल खाकर बच्चों के स्वास्थ्य खराब होने की शिकायत भी असत्य पायी गई।  जांच के दौरान खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के खाद्य सुरक्षा अधिकारी श्रीमती अपर्णा आर्य द्वारा 12 जुलाई को बाराद्वार स्थित नागरिक आपूर्ति निगम के प्रदाय केन्द्र में भण्डारित चावल का सेम्पल लिया गया।

इसी प्रकार पामगढ़ जनपद पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रीमती ऋषा ठाकुर, खाद्य निरीक्षक मनीषा कश्यप, नागरिक आपूर्ति निगम अकलतरा प्रदाय केन्द्र प्रभारी खाण्डे, गुणवत्ता निरीक्षक जगत एवं शिक्षकों की उपस्थिति में खाद्य सुरक्षा अधिकारी अपर्णा आर्य द्वारा 15 जुलाई को प्राथमिक शाला लोहर्सी के मध्यान्ह भोजन के चावल का दो सेम्पल लिया गया।

सहायक खाद्य अधिकारी श्री शर्मा ने बताया कि 13 जुलाई को खाद्य सुरक्षा अधिकारी दीपक कुमार देवांगन ने विकासखण्ड अकलतरा के शासकीय प्राथमिक शाला तिलई में संग्रहित मध्यान्ह भोजन योजना के चावल का सेम्पल लिया था।

इन सभी सेम्पल को राजधानी रायपुर स्थित नियंत्रक खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग कालीबाड़ी के प्रयोगशाला में भेजा गया। प्रयोगशाला में परीक्षण के बाद प्रेषित प्रतिवेदन के अनुसार सेम्पल के परीक्षण में निर्धारित मापदण्ड के अनुरूप ही चावल होना पाया गया।

प्लास्टिक चावल की मात्रा नहीं पाई गयी। अतएव इस तरह की खबरें तथ्य से परे और सिर्फ अफवाह है। कहीं भी किसी भी सेम्पल में प्लास्टिक अवशेष नहीं पाया गया। लोहर्सी और ससहा में चावल पकाकर और खाकर देखा भी गया, जिसमें प्लास्टिक होने जैसी कोई वस्तु नहीं पायी गयी।

ससहा में किसान का चावल और सार्वजनिक वितरण प्रणाली का चावल पकाकर देखा गया, दोनों चावल एक सामान पाये गये और इनमें प्लास्टिक जैसा कुछ नहीं था। इस प्रकार सभी शासकीय उचित मूल्य की दुकानों में निर्धारित मापदण्ड के अनुसार गुणवत्तायुक्त चावल वितरण किया जा रहा है। 

बच्चों की सेहत नहीं  बिगड़ी, तो शिविर क्यों ?

खाद्य विभाग के अधिकारी चावल के सेम्पल की जांच रिपोर्ट के बाद प्लास्टिक चावल की खबरों का खण्डन कर रहे है।

यहां तक तो बात समझ में आती है, मगर ग्राम लोहर्सी में मध्याह्न भोजन करने के बाद बच्चों की सेहत बिगड़ने की खबरों का भी खण्डन कर रही है।

यहां सवाल यह उठता है कि अगर बच्चों की सेहत नहीं बिगड़ी थी, तो वहां चिकित्सा विभाग की टीम अस्थायी शिविर किसलिए लगाई थी और वहां बच्चों का ईलाज क्या नहीं किया गया था। 

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