शरजील और डॉ. कफील खान के समर्थन में जेएनयू छात्रों का प्रदर्शन

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के करीब 50 छात्रों ने सोमवार को जंतर मंतर पर नागरिकता संशोधन कानून और एनपीआर के खिलाफ प्रदर्शन किया;

Update: 2020-02-18 02:29 GMT

नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के करीब 50 छात्रों ने सोमवार को जंतर मंतर पर नागरिकता संशोधन कानून और एनपीआर के खिलाफ प्रदर्शन किया। जेएनयू के ये प्रदर्शनकारी जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील इमाम और उत्तर प्रदेश के डॉक्टर कफील खान को रिहा करने की मांग कर रहे थे। शरजील इमाम को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने देशद्रोह के मामले में गिरफ्तार किया है। शरजील को पिछले महीने बिहार के जहानाबाद से गिरफ्तार किया गया था। शरजील इमाम ने देश के उत्तर पूर्वी हिस्से को हिंदुस्तान से काटने का भाषण अपने समर्थकों के बीच दिया था। शरजील इमाम का कहना था कि उत्तर पूर्व के राज्यों को कुछ महीनों के लिए तो भारत के बाकी हिस्सों से काटा जा सकता है। इसके लिए उसने रेल की पटरियों पर मलबा डालकर रेल संपर्क काटने की भी बात कही थी। इन्हीं तथ्यों के आधार पर दिल्ली पुलिस ने शरजील इमाम को गिरफ्तार किया है।

उधर, उत्तर प्रदेश के गोरखपुर स्थित अस्पताल के पूर्व डॉक्टर कफील खान को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तार किया गया है। 12 दिसंबर को डॉ. कफील खान ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में सीएए के खिलाफ आयोजित एक प्रदर्शन में भाषण दिया था। इसके बाद डॉ कफील खान पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) लगाया गया। शरजील इमाम दिल्ली और डॉ. कफील खान उत्तर प्रदेश की एक जेल में कैद हैं।

प्रदर्शन का नेतृत्व जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आइसी घोष और उनके सहयोगी साकेत मून ने किया। आइसी ने कहा "आजकल, भड़काऊ भाषणों पर देश में जश्न मनाया जाता है। सत्तारूढ़ दल के मंत्री ने 'शूट' शब्द का इस्तेमाल किया और उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।"

उन्होंने कहा, "वहीं दूसरी ओर यदि कोई सीएए, एनआरसी और एनपीआर का विरोध करता है तो देशद्रोह का मुकदमा दर्ज कर दिया जाता है।"

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ आयोजित इस प्रदर्शन में एनआरसी और सीएए मुर्दाबाद के नारे लगाए गए। प्रदर्शनकारियों ने इस गरीब विरोधी एवं सांप्रदायिक बताया। प्रदर्शनकारियों ने 'कफील खान को रिहा करो' और 'शरजील इमाम को रिहा करो' भी लगाए।

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