अंधेरे में दिवाली मनाएंगे सरदार सरोवर बांध से प्रभावित लोग

सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाए जाने के बाद उसमें पानी भरे जाने से मध्यप्रदेश की नर्मदा घाटी के हजारों परिवारों का जीवन तो संकट में पड़ा ही है, जो बचे हैं उन्हें दिवाली अंधेरे में मनानी पड़ेगी;

Update: 2017-10-17 01:04 GMT

भोपाल। सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाए जाने के बाद उसमें पानी भरे जाने से मध्यप्रदेश की नर्मदा घाटी के हजारों परिवारों का जीवन तो संकट में पड़ा ही है, जो बचे हैं उन्हें दिवाली अंधेरे में मनानी पड़ेगी, क्योंकि बिजली विभाग वाले टांसफार्मर निकाल ले गए हैं।

नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर ने सोमवार को यहां संवाददाताओं से कहा, "एक तरफ सरदार सरोवर को 138.68 मीटर भरा जाना था, मगर 129 मीटर तक ही पानी भरा और रुका है। इस वजह से निमाड़ के बड़े-बड़े गांव, घर, हजारों हेक्टेयर में फैले खेत, मंदिर, मस्जिद, लाखों पेड़, शासकीय भवन डूब में नहीं आए हैं। वहीं दूसरी ओर कई गांवों के निचले मोहल्ले, घर, दुकानें डूब गई हैं। 

उनका आरोप है कि डूब से दूर होने के बावजूद शासकीय अधिकारियों ने दबाव डालकर आदिवासियों, मछुआरों के घर तोड़े हैं, जिनमें से कई को पुनर्वास का पूरा लाभ नहीं मिला है। वहीं पुनर्वास स्थल पर पर्याप्त स्थान एवं सुविधाएं उपलब्ध न होने पर वे खुले में रहने को मजबूर हैं। कई ने तो किराए पर मकान ले लिए हैं।

मेधा ने आगे बताया कि नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण और राज्य शासन ने मप्र विद्युत मंडल पर दबाव डालकर गांवों से टांसफार्मर उठवा लिए हैं, इससे पूरे इलाके में खेती पर संकट आ गया है। इतना ही नहीं, सैकड़ों परिवारों को अंधेरे में दिवाली मनानी पड़ेगी। 

मेधा का आरोप है कि स्थायी पुनर्वास हजारों परिवारों का बाकी है, न्यायाधीकरण (ट्रिब्यूनल) के फैसले, सर्वोच्च अदालत के 1992 से 2017 तक के फैसलों के पुनर्वास संबंधी आदेशों का उल्लंघन किया गया है। जबरिया गांव खाली कराकर जो अस्थायी पुनर्वास बनाए गए हैं, वे अनुपयोगी हैं। 150 वर्ग फुट से 200 वर्ग फुट तक के टीन शेड बनाए गए, जिन पर सैकड़ों करोड़ रुपयों के ठेके दिए गए। 

उन्होंने बताया कि आठ गांवों में 13 करोड़ और अकेले निसरपुर में 8 करोड़ 86 लाख रुपये ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए टीन शेड्स पर खर्च हुए। ये आवास ऐसे हैं कि एक भी परिवार इन आवासों में रहने नहीं गया। एक तो ये बहुत छोटे हैं, काफी दूर है और टीन के होने के कारण बिजली का करंट फैलने का खतरा है। 

मेधा बताती हैं कि कुक्षी तहसील के करोंदिया, खापरखेड़ा, निसरपुर, कोठड़ा, चंदनखेड़ी गांवों के तथा मनावर तहसील के एकलबारा, उरधना जैसे कई गांवों में रास्ते डूब गए हैं, जिससे आसपास के सभी खेत टापू में तब्दील हो गए हैं।

उन्होंने ऐलान किया है, "नर्मदा बचाओ आंदोलन के साथी भ्रष्टाचार और अत्याचार को उजागर करेंगे और बिना पुनर्वास के डूब का विरोध करते रहेंगे। आज की स्थिति में बांध के गेट खोलकर जलाशय का स्तर 122 मीटर पर लाया जाना चाहिए।"

Full View

Tags:    

Similar News