पटना पुस्तक मेला : 'छोटे शहरों की बड़ी रचनाशीलता' पर परिचर्चा

पटना के नवनिर्मित ज्ञान भवन में 10 दिवसीय पटना पुस्तक मेले के चौथे दिन मंगलवार को बड़ी संख्या में पुस्तक प्रेमी पहुंचे;

Update: 2017-12-05 21:46 GMT

पटना। पटना के नवनिर्मित ज्ञान भवन में 10 दिवसीय पटना पुस्तक मेले के चौथे दिन मंगलवार को बड़ी संख्या में पुस्तक प्रेमी पहुंचे। मंगलवार को 'छोटे शहरों की बड़ी रचनाशीलता' पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। सेंटर फॉर रीडरशिप डेवलपमेंट (सीआरडी) और कला, संस्कृति एवं युवा विभाग द्वारा आयोजित 24वें पटना पुस्तक मेले के कस्तूरबा मंच पर 'छोटे शहरों की बड़ी रचनाशीलता' पर आयोजित परिचर्चा का प्रारंभ करते हुए सुशील भारद्वाज ने कहा कि पहले साहित्य का केंद्र लखनऊ, इलाहाबाद, बनारस जैसे शहर होते थे, लेकिन आज दिल्ली, कोलकता और मुंबई जैसे शहर होते हैं। 

लेखिका डॉ़ अल्पना मिश्र ने विषय को आगे बढ़ाते हुए कहा कि यह कोई 'नाक की लड़ाई' नहीं है। लेखन का स्तर रचनात्मक उर्वरता और दृष्टि पर निर्भर करता है।  उन्हांने कहा कि जो लेखक बड़े शहहरों में रहकर भी संवेदनशीलता बचा लेगा, वह अच्छा और स्तरीय रचना दे सकता है। 

उन्होंने कहा, "यह शुरू से देखा गया है कि बड़े शहर के लेखकों ने छोटे शहरों के रचनाकारों को किनारे करने की कोशिश की है, लेकिन यह संभव नहीं हो सका है।" 

लेखिका नीलिमा सिंह की भी राय कुछ इसी प्रकार रही। उन्होंने कहा कि जो रचनाएं अच्छी होंगी उसके उड़ान को कोई रोक नहीं सकता है। उन्होंने उदाहरण दिया कि नागार्जुन, शिवपूजन सहाय, फणीश्वरनाथ रेणु जैसे कई रचनाकारों ने गांव कस्बों से संबंध होते हुए भी कालजयी रचनाएं दी। परिचर्चा का संचालन सुशील भरद्वाज ने किया। 

पुस्तक मेले में विनोद रस्तोगी द्वारा लिखे नाटक 'पालकी पालना' के द्वारा समाज में व्याप्त बाल विवाह जैसी कुरीतियों पर कड़ा प्रहार किया गया। सुरेश कुमार हज्जु द्वारा मनोरंजक तरीके से प्रस्तुत इस नाटक की कहानी एक बच्ची के इर्द-गिर्द घूमती है। 

बच्ची के माता-पिता अज्ञानतावश उसकी शादी तय कर देते हैं। उस बच्ची की क्या भावनाएं हैं, ससुराल क्या होता है, इन सभी बातों को यह नाटक स्पष्ट रूप से दर्शकों के सामने रखता है। 

अंत में नाटक के एक पात्र नारद द्वारा बच्ची के पिता को समझाना कि बाल विवाह से क्या-क्या समस्याएं पैदा हो सकती हैं, नाटक को मजेदार बनाता है। नाटक के अंत में सभी कलाकार जनता से सवाल करते हैं, कि क्या बाल विवाह एवं दहेज लेना सही है। इस नाटक में सुदर्शन शर्मा, गोपी कुमार, रोहित, विवेक, रौशन ने प्रमुख भूमिका निभाई। उल्लेखनीय है कि 11 दिसंबर तक चलने वाले इस पुस्तक मेला में 110 प्रकाशकों ने भाग लिया है। 

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