बीएमसी से विपक्ष ने पूछा, किसने जांच धीमी करने को कहा

विपक्षी दलों ने शनिवार को बृहन्मुंबई नगर निगम आयुक्त अजय मेहता के चौंका देने वाले बयान पर गंभीर नाराजगी जताई है;

Update: 2018-01-06 22:46 GMT

मुंबई। विपक्षी दलों ने शनिवार को बृहन्मुंबई नगर निगम आयुक्त अजय मेहता के चौंका देने वाले बयान पर गंभीर नाराजगी जताई है। मेहता ने अपने बयान में कहा था कि वह 29 दिसंबर के पब अग्निकांड की जांच को धीरे-धीरे आगे बढ़ाने के लिए दबाव में थे। इस हादसे में 14 लोगों की मौत हो गई थी। कांग्रेस की मुंबई इकाई के अध्यक्ष संजय निरूपम ने मेहता की कड़ी आलोचना की और नगर निगम पर दबाव बनाने वाले राजनेता का नाम उजागर करने और उसे बेनकाब करने की चुनौती दी। नगर निकाय पर शिवसेना का कब्जा है। 

निरूपम ने कहा, "मेहता को राजनेताओं की तरह नहीं बोलना चाहिए। उन्हें संदिग्ध बयान नहीं देने चाहिए। उनका नाम उजागर करें, जिन्होंने आप पर जांच धीमी करने के लिए दवाब डाला।"

निरूपम ने आईएएनएस को बताया, "मैं दोहराता हूं कि इस घटना के लिए वह जिम्मेदार हैं और इसके लिए उन पर मामला दर्ज किया जाना चाहिए।"

उन्होंने बीएमसी आयुक्त से यह भी कहा कि वह कमला मिल कंपाउंड परिसर में मौजूद 17-18 पब और बार के सभी मालिकों के नाम उजागर करें। जहां पिछले सप्ताह लगी आग में 55 अन्य लोग घायल हो गए थे। 

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रवक्ता संदीप देशपांडे ने इस मामले में सच बाहर लाने के लिए मेहता का नार्को परीक्षण किए जाने की मांग की। 

देशपांडे ने कहा, "कमला मिल परिसर में अवैध निर्माण के खिलाफ किसने मेहता को धीमी कार्रवाई करने को कहा। वह सत्तारूढ़ शिवसेना थी या फिर विपक्षी भैया (कांग्रेस)।"

इस बीच, मेहता को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे का समर्थन मिला। ठाकरे ने कहा कि उन्होंने मेहता से किसी के दबाव में आकर काम नहीं करने की सलाह दी थी और शहर में अवैध निर्माण के खिलाफ अपने अभियान को जारी रखने को कहा था। 

ठाकरे ने कहा, "भगोड़ों के खिलाफ इनाम जारी करना अपमानजनक है..वह आतंकवादी नहीं है, पुलिस विभाग की भूमिका सवालों के घेरे में है।" उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधा, जिनके पास गृह मंत्रालय का प्रभार भी है। 

वहीं दूसरी तरफ महापौर विश्वनाथ महादेश्वर ने कहा कि एमएफबी की रिपोर्ट को विस्तार से पढ़ना चाहिए और चर्चा करने से पहले यह पता लगाना चाहिए कि वह सही है या गलत। 

मुंबई दमकल विभाग (एमएफबी) द्वारा पब में लगी आग के मामले में जांच रपट जमा कराने के बाद मेहता का विवादित बयान शुक्रवार देर रात आया। 

एमएफबी रपट में स्पष्ट रूप से पुष्टि की गई है कि मोजो के बिस्ट्रो में लगी आग बहुत जल्दी से उससे लगे 1एबव और अन्य परिसरों में फैल गई, जिससे वहां मौजूद करीब 400 से 500 लोग फंस गए थे। 

आईएएनएस ने 29 दिसंबर को खबर चलाई थी जिसमें बीएमसी अधिकारी के हवाले से कहा था कि सबसे पहले आग मोजो के बिस्ट्रो में लगी थी। 

बीएमसी आयुक्त मेहता अगले सप्ताह रपट को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के सामने पेश करेंगे। 

इस बीच एमएफबी ने कहा कि आग फैल जाने के बाद भी, किसी भी कर्मचारी या सुरक्षाकर्मी ने अलार्म दबाने या दमकल विभाग को सूचित करने की जहमत नहीं उठाई।

आग का कारण परिसर में अवैध हुक्का परोसा जाना, पब परिसर से बाहर निकलने का कोई भी उचित संकेत नहीं होना और शराब की भारी मात्रा में उपलब्धता वजह बनी। यह शराब अत्यधिक ज्वलनशील थी। 

हुक्का में जलने वाले कोयले दक्षिण छोर में मोजो के बिस्ट्रो के पर्दा के संपर्क में आ गए, जिसके कारण आग पब और फिर आसपास के 1एबव में बहुत जल्दी से फैल गई।

एमएफबी ने कहा कि यह एक छिद्र युक्त अवैध शेड था, जो अत्यधिक दहनशील पदार्थो से बना था। आग आपातकालीन निकास की तरफ फैल गई, जिसका पता यहां तक कि सुरक्षाकर्मियों को भी नहीं चला।

जलते हुए परिसरों से बाहर निकलने का एकमात्र तरीका लिफ्ट ही थी, लेकिन पूर्वी हिस्से के मार्ग को भंडार गृह के रूप में इस्तेमाल किए जाने से वहां जाने वाला मार्ग अवरुद्ध हो गया। साथ ही यहां एक अवैध शौचालय था जहां 14 लोगों ने शरण ली थी, जिसमें से ज्यादातर की मौत जहरीले धुएं के कारण हुई।

एमएफबी ने इस घटना के वीडियो, प्रत्यक्षदर्शी रिपोर्ट, ट्वीट्स और न्यूजक्लिप्स का हवाला देते हुए कहा, "यह स्पष्ट है कि आग मोजो के बिस्ट्रो रेस्तरां में उत्पन्न हुई और आगे बढ़कर 1एबव तक पहुंच गई।" 

एमएफबी जांचकर्ताओं को मोजो बिस्ट्रो के दक्षिण-पूर्व कोने में हुक्का, लकड़ी का कोयला, स्टैंडपाइप, पेडस्टल पंखे और अन्य अवशेष मिले।

शुक्रवार देर रात को मुंबई पुलिस ने 1एबव पब के भगोड़े मालिकों के बारे में जानकारी देने वाले को एक लाख रुपये इनाम की घोषणा की। यह सभी लोग 29 दिसंबर से भूमिगत हैं। 
 

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