फारुख अब्दुल्ला की रिहाई की मांग को लेकर विपक्ष का बहिर्गमन

जम्मू कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद 370 एवं 35 ए हटाये जाने के छह माह पूरे होने के मौके पर कांग्रेस एवं अन्य विपक्षी दलों ने लोकसभा में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सांसद डॉ. फारुक अब्दुल्ला की रिहाई;

Update: 2020-02-05 14:31 GMT

नयी दिल्ली । जम्मू कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद 370 एवं 35 ए हटाये जाने के छह माह पूरे होने के मौके पर कांग्रेस एवं अन्य विपक्षी दलों ने लोकसभा में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एवं श्रीनगर के सांसद डॉ. फारुक अब्दुल्ला की रिहाई की मांग को लेकर नारेबाजी एवं बहिर्गमन किया।

लोकसभा में शून्यकाल के दौरान कांग्रेस के के. सुरेश ने यह मामला उठाते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 एवं 35 ए को हटाये जाने के छह माह बीत चुके हैं। इसी सदन के सदस्य एवं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. अब्दुल्ला विगत तीन सत्रों से सदन में आने में असमर्थ हैं। उन्हें यहां आकर अपने विचार व्यक्त करने का अवसर दिया जाना चाहिए।

 सुरेश अपनी बात पूरी नहीं कर पाये थे कि उनका माइक बंद हो गया। इससे कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस, द्रविड़ मुनेत्र कषगम के सदस्य खड़े हो गये और डॉ. अब्दुल्ला की रिहाई की मांग दोहराने लगे। लेकिन अध्यक्ष ओम बिरला उनकी मांग पर ध्यान दिये बिना अन्य सदस्यों को बोलने का मौका देते रहे। इससे कांग्रेस, द्रमुक, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, नेकां, वामदलों के सदस्य आसन के सम्मुख आकर नारेबाजी करने लगे।

कुछ देर बाद अध्यक्ष ने कांग्रेस के नेता अधीररंजन चौधरी को बोलने के लिए कहा। इस पर श्री चौधरी ने कहा कि डॉ. अब्दुल्ला सरकार की अवैध हिरासत में हैं। सरकार अपने रुख पर अडिग है। उन्हें तुरंत रिहा किया जाना चाहिए। लेकिन उनका भी माइक बंद हो गया। इससे विपक्षी सदस्यों में नाराज़गी छा गयी। श्री चौधरी ने बहिर्गमन करने का ऐलान किया और इन विपक्षी दलों के सदस्य सदन से वाक आउट कर गये।

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