राम जन्मभूमि पर तो केवल रामलला का मंदिर ही बनेगा: स्वरूपानंद सरस्वती
अयाेध्या में बाबरी मस्जिद ढांचे के अस्तित्व काे नकारते हुये द्वारका शारदा पीठाधीश्वर एवं ज्येतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती ने आज कहा कि रामजन्मभूमि पर तो केवल रामलला का;
मथुरा। अयाेध्या में बाबरी मस्जिद ढांचे के अस्तित्व काे नकारते हुये द्वारका शारदा पीठाधीश्वर एवं ज्येतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती ने आज कहा कि रामजन्मभूमि पर तो केवल रामलला का मंदिर ही बनेगा जिसे शंकराचार्य मिलकर बनवाएंगे।
शंकराचार्य ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि बाबरी मस्जिद के पैरोकार की इस दलील में कोई दम नही है कि वहां पर बाबरी मस्जिद थी। हकीकत यह है कि बाबर कभी अयोध्या आया ही नही और ना ही कभी मीरबाकी आया। जब बाबर आया ही नही और न मीर बाकी ही आया तो बाबर के नाम की मस्जिद कहां से बन गई।
धर्मगुरू ने दावा किया कि उन्होंने अपनी आंखों से देखा है कि वहां जो मंदिर बना था उसमें 14 कसौटी के खंभे थे, मंगल कलश बना हुआ था, हनुमान जी का चित्र बना हुआ था। उस परिसर में वजू का कुआं नही था। अजान बोलने के लिए मीनार नही थी और जो गर्भगृह बना था उसकी परिक्रमा बनी हुई थी। यह साबित करता है कि वहां मस्जिद के चिन्ह न होकर प्राचीन मंदिर के अवशेष थे।
उन्होने कहा कि कुछ लोगों ने उसे मस्जिद कहकर तोड़ दिया तो दुनिया में यह बात फैल गई कि जरूर यहां मस्जिद रही होगी वरना ये मंदिर तो तोड़ते नही। उनका कहना था कि वहां खुदाई में मूर्तियां भी मिली है तो जब वहां पर मस्जिद का अस्तित्व था ही नही तो झगड़ा कहां का है।
शंकराचार्य ने कहा कि कोई भी राजनैतिक पार्टी मंदिर बना ही नही सकती, क्योंकि वह बनाने की हैसियत में तब हाेगी जब वह सत्तारूढ हो जाएगी। सत्तारूढ होते ही मंत्रिमंडल संविधान की शपथ लेगा। संविधान धर्मनिरपेक्ष है। ऐसे में सरकार मंदिर , मस्जिद या गुरूद्वारा गिरजाघर में से कुछ भी नही बना सकती। इसलिए यह राजनीतिक दलों द्वारा नही बनाया जा सकता इसका तो निर्माण केवल संत या शंकराचार्य ही कर सकते हैं।
उन्होने कहा कि उसके लिए पहले से रामालय ट्रस्ट बना हुआ है जिसमें सभी शंकराचार्य हैं। वे जनता के सहयोग से राम मंदिर बनाएंगे और वहीं बनाएंगे और वहां पर रामलला का विगृह होगा।
धर्मगुरू ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक प्रमुख मोहन भागवत कहते हैं कि वे मंदिर तो बनाएंगे पर देवी देवता का नही बल्कि आदर्श राम का मंदिर बनाएंगे। राम आदर्श तब हुए जब उन्होंने विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा की। जब उन्होंने पिता की आज्ञा से वन गमन किया या वन से लौटकर अयोध्या आए और राज किया। बालक कहां आदर्श होता है। जो दशरथ जी के आंगन में खेल रहा है उसका मंदिर शंकराचार्य बनाना चाहते हैं।