चर्म रोग मरीजों की संख्या बढ़ी,विशेषज्ञ भी हैरान
मेडिकल कॉलेज अस्पताल में चर्म रोग मरीजों की संख्या काफी दिख रही है;
अम्बिकापुर। मेडिकल कॉलेज अस्पताल में चर्म रोग मरीजों की संख्या काफी दिख रही है। स्कीन से जुड़ी बीमारियों के रोगियों की यह संख्या देखकर चर्म रोग विशेषज्ञ भी आश्चर्य में हैं। चिकित्सक जीवन शैली और गंदगी को भी कारण बता रहे हैं लेकिन मुख्य रूप से असर का कारण मौसम में बदलाव को बताया जा रहा है। कुछ चर्म रोग जो पिछले सालों तक 40 वर्ष वालों में दिखता था वह अब बच्चों को भी परेशान कर रहा है।
मेडिकल कॉलेज के चर्म रोग विभाग का आंकड़ा देखे तो हर रोज 80 से 100 मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं। विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ पीके सिन्हा की मानें तो पहले लोगों में चर्म रोग के प्रति जागरूकता नहीं थी, परंतु अब लोग जागरूक हुये हैं। इस कारण से उनकी संख्या अस्पतालों में दिख रही है। रायपुर मेडिकल कॉलेज के बाद प्रदेश का दूसरा शासकीय अस्पताल है जहां चर्म रोग की ओपीडी है। आंकड़े बताते हैं कि यहां पिछले 9 माह में 13 हजार अलग-अलग प्रकार के चर्म रोगी पहुंच चुके हैं, जिनका उपचार किया गया है। इतनी बड़ी संख्या में चर्म रोगियों का आना यह दर्शाता है कि लोग इस बीमारी को लेकर किस कदर जागरूक हैं। चिकित्सकों का भी यहीं कहना है कि किसी भी प्रकार का चर्म रोग हो तो विशेषज्ञ से आकर परामर्श जरूर ले, जिसका उक्त बीमारी से निपटा जा सके।
धूल भी एक बड़ा कारण
अम्बिकापुर शहर को स्वच्छ रखने शासन प्रशासन ने कई कवायद की है और आगे भी करती रहेगी, परंतु जहां तक सड़कों से उठती धूल का सवाल है। नगर में वर्तमान की स्थिति बेहद खराब है। राष्ट्रीय राजमार्ग हो या नगर के अंदर की सड़क। वाहनों की आवाजाही से उठती धूल लोगों को कई प्रकार से परेशान किये हुये हैं। चिकित्सक के अनुसार धूल से भी कई प्रकार के चर्म रोग होने का खतरा बना रहता है।
एक ही डॉक्टर पदस्थ
मेडिकल कॉलेज अस्पताल में चर्म रोग का एक ही विशेषज्ञ डॉक्टर होने से मरीजों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है। एक चिकित्सक के भरोसे चर्म रोग विभाग रहता है। ऐसे में अगर चिकित्सक छुट्टी पर हो या विभागीय काम से बाहर हो तो अस्पताल में मरीज भटकते रहते हैं।
कुष्ठ के सवा दो सौ नए मरीज
चर्म रोग से संबंधित कुष्ठ की बीमारी से ग्रसित सवा दो सौ नये मरीज सरगुजा में सामने आये हैं जिनकी दवाईयां चल रही है। सरगुजा में कुष्ठ की बीमारी को रोकने व खत्म करने शासन प्रशासन द्वारा कई कार्यक्रम समय-समय पर चलाये जाते हैं। यहां तक कि डोर-टू-डोर स्वास्थ्य कार्यकर्ता पहुंचते हैं। मगर फिर भी बड़ी संख्या मेें कुष्ठ से ग्रसित लोग सामने आ रहे हैं।