लाइक के नाम करोड़ों ठगा

नोएडा ! क्लिक के नाम पर ठगी केंद्र बन चुके शहर में नई क्लिक वन्स डाट कॉम कंपनी सामने आई है। कंपनी ने महज दो माह में हजारों लोगों से कई सौ करोड़ रुपए का ठगी की।;

Update: 2017-03-21 01:19 GMT

नोएडा !   क्लिक के नाम पर ठगी केंद्र बन चुके शहर में नई क्लिक वन्स डाट कॉम कंपनी सामने आई है। कंपनी ने महज दो माह में हजारों लोगों से कई सौ करोड़ रुपए का ठगी की। सेक्टर-02 के बी ब्लाक स्थित कंपनी 15 मार्च के बाद से बंद है। कंपनी प्रति क्लिक  लोगों को 9.8 रुपए देती थी। जबकि एब्लेज, वेबवर्क व एड्सवर्क कंपनियां क्लिक के जरिए 5 से 6 रुपए ही देती थी। पीडि़त तीन दिनों से कोतवाली सेक्टर-20 व साइबर सेल के चक्कर काट रहे है। वह अब सूरजपुर स्थित एसटीएफ से शिकायत करेंगे।
   विपिन कुमार दिल्ली में रहते है। दो माह पहले उन्हें कंपनी के बारे जानकारी मिली। जिसमे क्लिक के जरिए घर बैठे पैसे कमाने का तरीका बताया गया। विपिन ने अपने व परिवार के नाम से 2,7600 रुपए देकर चार आईडी ली। कंपनी ने एग्रीमेंट बनवाया जिसके तहत 300 दिन तक 9.80 रुपए के रेट से 105 लाइक मिलेंगे। लाइक तो रोज आते रहे। लेकिन 45 दिन से कोई •ाी पेमेंट खाते में नहीं आया। इस मामले में विपिन नौ मार्च को कंपनी के सेक्टर-02 स्थित पते पर गया। वहां कंपनी के बाहर एसवीएन न्यूज लिखा था। वहां काम करने वालों ने बताया कि दो दिन में पूरा पैसा खाते में डाल दिया जाएगा। पैसा नहीं आने पर सोमवार को दोबारा कंपनी पहुंचा। कंपनी के बाहर बोर्ड तो एसवीएन न्यूज का लगा था। लेकिन क्लिक वन्स कंपनी का कोई •ाी कर्मचारी और मालिक वहां नहीं थे। विपिन ही नहीं दिल्ली निवासी सुपील कुमार वर्मा ने भी 19 जनवरी को क्लिक वन्स कंपनी से 6900 रुपए में आईडी ली थी। 45 दिन से उनके पास भी कोई पेमेंट नहीं आई।
हजारों लोगों लोगों के फंसे करोड़ों रुपए
पीडि़तों ने बताया कि कंपनी क्लिक के नाम पर सबसे ज्यादा पैसे ऑफर कर रही थी। लिहाजा हजारों लोगों ने कंपनी से आईडी खरीदी है। जिनके पास पैसा नहीं पहुंच रहा है। हालांकि मार्च में भी लोगों की आईडी पर लाइक के लिंक ट्रांसफर किए जा रहे थे। कंपनी में 20 से ज्यादा कर्मचारी काम कर रहे थे। यह •ाी बताया गया कि करीब 70 हजार लोग इस कंपनी से अपनी आईडी ले चुके है। फरवरी में एसटीएफ द्वारा एब्लेज का 3700 करोड़ रुपए का ïïïठगी पकड़े जाने के बाद क्लिक वन्स डॉट कॉम कंपनी ने भी लोगों को पेमेंट करना बंद कर दिया। पीडि़तों ने बताया कि खाते में पैसा जमा करने व व आईडी का पूरा काम वाट्स एप नंबर से किया जाता था।

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