इमारत और सुविधाएं नहीं, लोगों की लगन से बनते हैं विश्वस्तरीय संस्थान : राष्ट्रपति

राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कहा कि इमारत और सुविधाएं एक विश्वस्तरीय संस्थाएं नहीं बना सकते हैं;

Update: 2021-08-28 01:14 GMT

लखनऊ। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कहा कि इमारत और सुविधाएं एक विश्वस्तरीय संस्थाएं नहीं बना सकते हैं, बल्कि सच्चाई है कि आपसे पहली पीढ़ी के लोगों ने, जिनमें मेडिकल क्षेत्र के बहुत से प्रतिभाशाली लोग शामिल हैं, दिन-रात मेहनत करके इस संस्थान को न केवल भारत, बल्कि विश्व का प्रमुख संस्थान बनाया है। राष्ट्रपति ने यह बात उत्तर प्रदेश में अपनी यात्रा के दूसरे दिन संजय गांधी स्नात्कोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के 26वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने डिग्री पाने वाले सभी छात्रों को बधाई दी।

राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने आगे कहा कि एसजीपीजीआई चार दशकों से अपने ध्येय वाक्य को साध रहा है, और राष्ट्रीय व राज्य के स्तर पर अंगों के प्रत्यारोपण के लिए असीमित प्रतिबद्धता दिखाई है। कोविड महामारी का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि देश तब तक आराम नहीं कर सकता है, जब तक सभी पात्र व्यक्तियों का टीकाकरण नहीं हो जाता है। उन्होंने डॉक्टरों के समुदाय से टीकाकरण के बारे में जागरूकता बढ़ाने का भी आग्रह किया।

छात्रों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, कोविड के खिलाफ लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। हमें किसी भी तरह की ढिलाई से सावधान रहना चाहिए। मास्क और सामाजिक दूरी सुरक्षा की पहली कतार है।

उन्होंने कहा कि 61 करोड़ से ज्यादा लोगों के टीकाकरण के साथ देश ने अविश्वसनीय प्रगति की है और सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में लगभग 6 करोड़ 70 लाख लोगों को टीका लगाया जा चुका है। उन्होंने कहा कि यूपी सरकार ने कोविड रोगियों की समर्पित देखभाल के लिए कई सुविधाएं विकसित की हैं। राष्ट्रपति ने राज्य के प्रत्येक जिले में मेडिकल कॉलेज खोलने के यूपी सरकार के कदम की भी सराहना की।

कोविंद ने कहा कि महामारी ने अभूतपूर्व तरीके से स्वास्थ्य सेवाओं के महत्व को रेखांकित किया है और अत्याधुनिक तकनीक, विशेष रूप से टेलीमेडिसिन का उपयोग हमारे सामने मौजूद दीर्घकालिक चुनौतियों का सामना करने में मददगार साबित होगा।

योग के महत्व की चर्चा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि योग शारीरिक स्वास्थ्य और अच्छी सेहत ही नहीं, बल्कि जीवन का एक समग्र तरीका है और महामारी के दौरान योग सहित पारंपरिक तरीकों ने पूरे विश्व में असंख्य लोगों की मदद की है।

इस दौरान राष्ट्रपति ने तीन विद्यार्थियों और एक प्रोफेसर को अवॉर्ड दिया।

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