नारों से नहीं मुहिम चलाने से देश होगा भ्रष्टाचार मुक्त

जनपद पंचायत, जिला पंचायत से लेकर कलेक्टोरेट/जिला कार्यालय कोण्डागांव में एक वयोवृद्ध सामाजिक कार्यकर्ता आर.के.तिवारी को अक्सर देखा जा सकता है;

Update: 2018-01-01 12:33 GMT

कोण्डागांव। जनपद पंचायत, जिला पंचायत से लेकर कलेक्टोरेट/जिला कार्यालय कोण्डागांव में एक वयोवृद्ध सामाजिक कार्यकर्ता आर.के.तिवारी को अक्सर देखा जा सकता है, यह व्यक्ति उक्त कार्यालयों का चक्कर अपने व्यक्तिगत परेशानियों के समाधान के लिए नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्र में शोषित हो रहे ग्रामीणजनों की व्यथा से प्रशासन को अवगत कराकर उनकी समस्याओं व मांगों का समाधान करने का आग्रह करते दिखाई पडते हैं। प्रेस के जिला प्रतिनिधि को एक मुलाकात के दौरान 78 वर्षीय वयोवृद्ध सामाजिक कार्यकर्ता आर.के.तिवारी ने बताया कि वे जिले के तहसील कोण्डागांव के ग्राम दहीकोंगा के निवासी हैं और वर्तमान में जिला मुख्यालय कोण्डागांव में ही रहने लगे हैं। पहले वे स्वास्थ्य विभाग में सेक्टर पर्यवक्षक के पद पर पदस्थ थे और उस दौरान वे अंदरुनी पहुंचविहिन, दुर्गम क्षेत्र में बसे ग्रामों में भी जाते आते थे तथा ग्रामीणजनों की जमीनी परेशानियों से अच्छी तरह वाकिफ होकर ग्रामीणजनों को उनकी परेशानियों से निजात दिलाने के लिए मौखिक रुप में मार्गदर्शन देते रहते थे।

फिर सेवानिवृत्ति के बाद से वे परेशानियों को लेकर आने वाले ग्रामीणजनों के लिए विधिवत आवेदन बनाकर देने सहित अधिकारियों से मिलवाकर उनकी समस्या के समाधान में सहयोग करने लगे। इसी बीच उन्हें ग्राम दहीकोंगा तथा अतिसंवेदनशील क्षेत्र में बसे ग्राम पंचायत कडेनार के ग्रामीणों से सुचना मिली कि ग्राम पंचायत दहीकोंगा और कडेनार के सचिवों के द्वारा शासन द्वारा बनाई गई विभिन्न योजना के तहत जनहित के लिए ग्राम पंचायत को भेजी गई लाखों रुपए की राशि का गबन कर लिया है, इस जानकारी पर उनके द्वारा आरटीआई के तहत जानकारी निकालकर कार्यवाही हेतु प्रशासन के उच्चाधिकारियों को आवेदन दिया गया है।

भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम छेडने वाले वयोवृद्ध आर.के.तिवारी का कहना है कि केवल नारा लगाने से क्षेत्र या फिर संपूर्ण देश भ्रष्टाचार मुक्त नहीं होगा, बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम चलाने से बनेगा और भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम चलाने की जिम्मेदारी केवल शासन में बैठे नेताओं, जनप्रतिनिधियों या फिर प्रशासनिक अधिकारियों की ही नहीं है, बल्कि समस्त आमजनों की है।

इसी तरह विभिन्न समस्याओं से जुझ रहे ग्रामीणजनों के विषय में उनका कहना है कि यदि ग्रामीणजन अपनी समस्याओं को सही ढ़ंग से प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष रखें तो उनका समाधान भले देर से ही सही लेकिन अवश्य होगा। वहीं वयोवृद्ध सामाजिक कार्यकर्ता आर.के.तिवारी का कहना और मानना है कि सेवानिवृत्त प्रत्येक अधिकारी या कर्मचारी चाहे तो उनकी तरह समाज सेवा से जुडकर आमजनों की मद्द के लिए आगे आ सकता है, इससे दो फायदे होंगे पहला तो यह कि उनका समय आसानी से कटेगा, दुसरा यह कि उनके ज्ञान से परेशानजदा आमजनों की परेशानी तो दुर होगी और उनकी दुआएं मिलती रहेगी।  

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