नीतीश ने तेजस्‍वी को कई विभागों का मंत्री बना दिया, खामियाजा भुगत रही जनता, सुशील मोदी का हमला

भाजपा के राज्‍यसभा सदस्‍य और बिहार के पूर्व डिप्‍टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने एक बार फिर महागठबंधन सरकार पर हमला बोला है;

Update: 2022-11-19 22:40 GMT

पटना। भाजपा के राज्‍यसभा सदस्‍य और बिहार के पूर्व डिप्‍टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने एक बार फिर महागठबंधन सरकार पर हमला बोला है। उन्‍होंने ट्वीट कर मुख्‍य रूप से उपमुख्‍यमंत्री तेजस्‍वी यादव को घेरा है। कहा है कि स्‍वास्‍थ्‍य विभाग की हालत बदतर होती जा रही है।

सुशील मोदी ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव न 60 दिन में जिला अस्पतालों को सुधार पाए, न उन 705 डाक्टरों पर कोई कार्रवाई हुई, जिन्हें कई साल से गायब बताया गया है। मोदी ने पूछा है कि सरकारी अस्पतालों से गायब डाक्टरों को अब तक वेतन कैसे मिल रहा है?

उन्होंने कहा कि सभी राशनकार्डधारी मरीजों को पांच लाख रुपये तक का इलाज मुफ्त देने की जो घोषणा की गई थी , उसका क्या हुआ? मोदी ने कहा कि जब डेंगू का प्रकोप चरम पर था, तब तेजस्वी यादव ने औचक निरीक्षण कर एक डाक्टर को सस्पेंड किया, लेकिन उसके बाद स्वास्थ्य सेवाओं की समीक्षा तक नहीं की।

मरीज भगवान भरोसे छोड़ दिए गए। सुशील मोदी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए कहा है कि तेजस्वी यादव को स्वास्थ्य सहित आधा दर्जन प्रमुख विभागों का मंत्री बना दिया है। वे किसी विभाग को वक्त नहीं दे पा रहे हैं। उनके पास फुर्सत नहीं है और तकलीफ जनता को झेलनी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि महागठबंधन सरकार में जन-कल्याण से सीधे जुड़े स्वास्थ्य विभाग की हालत बद से बदतर हो रही है।

विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता विजय सिन्हा ने उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और महागठबंधन नेताओं द्वारा बार-बार संवैधानिक संस्थाओं सीबीआइ, ईडी, और आइटी पर आरोप लगाकर अभद्र भाषा के प्रयोग को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। राज्य सरकार द्वारा अरवा चावल की खरीद पर लगाई गई रोक पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल ने पुनर्विचार करने का आग्रह किया है।

उन्होंने कहा कि सरकार को यह भी नहीं पता कि बिहार में अधिकांश मिलें अरवा का ही उत्पादन करती हैं। दोनों चावलों के उत्पादन के लिए अलग-अलग मशीनों का उपयोग तथा निबंधन होता है। ऐसे में सरकार के तुगलकी फरमान से चावल मिलों में काम करने वाले मजदूरों और धान बेचने वाले किसानों के सामने भूखों मरने की नौबत आ जाएगी।

राज्य सरकार के इस अविवेकपूर्ण निर्णय से चावल की कालाबाजारी भी बढ़ेगी। यही नहीं, जो लोग उसना चावल नहीं खाते हैं वह या तो चावल का उठाव कर उसे बेचने पर मजबूर होंगे या उठाव न होने पर ऊपर ही ऊपर बेच दिया जाएगा। राज्य सरकार एक के बाद एक जिस तरह के काम कर रही है उससे राज्य का भविष्य एक बार फिर से डावांडोल होता जा रहा है।

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