भ्रष्टाचारियों पर मेहरबान वसुंधरा सरकार

राजस्थान सरकार ने एक नए अध्यादेश के मुताबिक ड्यूटी के दौरान किसी जज या किसी भी सरकारी कर्मचारी की कार्रवाई के खिलाफ कोर्ट के जरिए भी एफआईआर दर्ज नहीं कर सकते हैं;

Update: 2017-10-21 17:36 GMT

नई दिल्ली।  राजस्थान सरकार ने एक नए अध्यादेश के मुताबिक ड्यूटी के दौरान किसी जज या किसी भी सरकारी कर्मचारी की कार्रवाई के खिलाफ कोर्ट के जरिए भी एफआईआर दर्ज नहीं कर सकते हैं। इसके लिए सरकारी की अनुमति की ज़रूरत होगी। हालांकि अगर सरकार इजाजत नहीं देती है तो 180 दिनों के बाद कोर्ट के जरिए एफआईआर दर्ज कराई जा सकती है।  

एक तरफ तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भ्रष्टाचार पर जीरो टोलरेंस की बात करते हैं, भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की बात कही जाती है, लेकिन बीजेपी शासित राजस्थान सरकार जो नया अध्यादेश लेकर आई है, उससे तो यहीं लगता है कि बीजेपी भ्रष्टाचारियों के खिलाफ नहीं बल्कि उनके साथ खड़ी है। वसुंधरा सरकार ऐसा कानून लेकर आई है जिससे पूर्व और वर्तमान जजों और सरकारी कर्मियों के खिलाफ पुलिस या अदालत में शिकायत करना आसान नहीं होगा।

आपको बता दे कि सरकार के इस नए अध्यादेश के तहत इस तरह के किसी भी सरकारी कर्मचारी, जज या अधिकारी का नाम, स्थान की जानकारी या किसी भी तरह की पहचान तब तक प्रेस रिपोर्ट में भी नहीं दी सकती, जब तक कि सरकार इसकी इजाजत न दे। ऐसा नहीं करने पर दो साल की सजा का भी प्रावधान किया गया है।  वहीं वसुंधरा सरकार के इस कानून ने सूबे की सियासत को गर्मा दिया है।

कांग्रेस ने  इस मौके पर बीजेपी सरकार को घेरते हुए पूछा है कि आखिर भ्रष्टाचारियों पर इतनी मेहरबान क्यों हैं सरकार...क्या है माजरा। 

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