सुप्रीम कोर्ट ने डिजिटल अरेस्ट के मामलों की जांच सीबीआई को सौंपने के दिए संकेत, 3 नवंबर को होगी अगली सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने साइबर अपराध से जुड़े डिजिटल अरेस्ट के मामलों की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने के संकेत दिए हैं। सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि यह समस्या पूरे देश में फैली हुई है, इसलिए एक ही एजेंसी को सभी मामलों की जांच करनी चाहिए;

Update: 2025-10-27 12:40 GMT

देशभर के डिजिटल अरेस्ट के मामलों की जांच सीबीआई को सौंपी जाए या नहीं, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 3 नवंबर को

  • सुप्रीम कोर्ट डिजिटल अरेस्ट पर सख्त
  • सीबीआई जांच के दिए संकेत
  • पीड़ितों को न्याय दिलाने का उद्देश्य

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने साइबर अपराध से जुड़े डिजिटल अरेस्ट के मामलों की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने के संकेत दिए हैं। सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि यह समस्या पूरे देश में फैली हुई है, इसलिए एक ही एजेंसी को सभी मामलों की जांच करनी चाहिए।

कोर्ट ने इस दिशा में आगे बढ़ते हुए सभी राज्य सरकारों से जवाब मांगा कि क्या देशभर के डिजिटल अरेस्ट मामलों को सीबीआई को सौंपा जा सकता है। अगली सुनवाई 3 नवंबर को होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डिजिटल अरेस्ट के मामलों में एक समान जांच जरूरी है, ताकि अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई हो सके। कोर्ट ने सीबीआई से सवाल किया कि क्या उसके पास इन मामलों से निपटने के लिए पर्याप्त तकनीकी विशेषज्ञता, बुनियादी ढांचा और संसाधन उपलब्ध हैं।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस पर जवाब देने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया। मेहता को अगली सुनवाई तक पूरी जानकारी पेश करने के लिए कहा गया है।

कोर्ट ने यह भी सुझाव दिया कि सीबीआई को राज्य पुलिस और इंटरपोल जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ मिलकर काम करना पड़ सकता है। इसके लिए सूचना और खुफिया जानकारी साझा करना जरूरी होगा, ताकि डिजिटल अपराधों की जड़ तक पहुंचा जा सके। डिजिटल अरेस्ट में साइबर ठग फर्जी कॉल और मैसेज के जरिए लोगों को धमकाते हैं और पैसे ऐंठते हैं, जो अब राष्ट्रीय स्तर पर गंभीर समस्या बन गया है।

इस सुनवाई से यह स्पष्ट है कि सुप्रीम कोर्ट डिजिटल अपराधों पर सख्त रुख अपनाना चाहता है। कोर्ट ने कहा कि एक केंद्रीकृत जांच से इन मामलों में तेजी और पारदर्शिता आएगी। राज्य सरकारों को अब अपनी रिपोर्ट तैयार करनी होगी, जिसमें वे बताएंगी कि क्या सीबीआई को सारा बोझ सौंपना व्यावहारिक होगा।

वहीं, विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सीबीआई को यह जिम्मेदारी मिलती है, तो साइबर अपराधों पर काबू पाना आसान हो सकता है, बशर्ते उसे तकनीकी सहायता और संसाधन मिलें।

Full View

Tags:    

Similar News