नारायण सिंह कुशवाह ने खोल दी अंदरुनी कलह, समीक्षा के सहारे भाजपा को दिखाया आइना
2018 में समीक्षा गुप्ता ने 30745 मत के साथ भाजपा को बड़ा नुकसान पहुंचाया। भाजपा प्रत्याशी तीन बार के विधायक 56369 मत प्राप्त कर कांग्रेस प्रत्याशी प्रवीण पाठसे (56248) से मात्र 121 मतों से हार गए;
By : गजेन्द्र इंगले
Update: 2023-06-10 10:34 GMT
ग्वालियर: मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव नवम्बर में होने जा रहे हैं। यह चुनाव भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती है। डबल इंजन की सरकार प्रदेश में है लेकिन फिर भी भाजपा की नींद उड़ी हुई है। इसका कारण है अंदरुनी कलह। जो हर जगह देखने को मिल रही है। यह अंदरुनी कलह ही भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। यह अंदरुनी कलह 2018 के चुनाव में भी भाजपा के लिए आत्मघाती हुई थी। और 2023 में अब उससे भी ज्यादा चुनौतीपूर्ण हालात भाजपा के लिए बन चुके हैं। इसका कारण समझने के लिए विधानसभा 17 ग्वालियर दक्षिण के वर्तमान हालात को देखते हैं।
विधान सभा 17 ग्वालियर दक्षिण भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन चुकी है। यहां टिकिट के दावेदारों की फेहरिस्त काफी लंबी है। वर्तमान में यह सीट कांग्रेस के पास है। प्रवीण पाठक यहां विधायक हैं। ऐसा माना जाता है कि वह खुद की छवि या कांग्रेस के प्रयास से नहीं बल्कि भाजपा कि अंदरुनी कलह की वजह से ही 2018 में विधायक बन गए। उन्हें मात्र 121 मतों से विजय प्राप्त हुई। प्रवीण पाठक ने तीन बार के भाजपा विधायक नारायण सिंह कुशवाह को इस मामूली अंतर से हराया। वर्तमान में नारायण सिंह कुशवाह भाजपा पिछड़ा वर्ग के प्रदेश अध्यक्ष हैं। जो अपनी हार की वजह कांग्रेस या प्रवीण पाठक के व्यक्तित्व को कभी नहीं मानते। बल्कि उनका साफ कहना है कि समीक्षा गुप्ता के निर्दलीय लड़ना ही उनकी हार का कारण है।
2018 में समीक्षा गुप्ता टिकिट को लेकर जिद पर अड गईं थीं। उन्हें किसी भी हालत में टिकिट चाहिए था। समीक्षा गुप्ता के परिवार की भाजपा में अंदर तक पकड़ रही है। और वह ग्वालियर की महापौर भी रही हैं। उनकी विधानसभा लड़ने की जिद इतनी ज्यादा थी कि वह टिकिट के लिए बगावत पर उतर आईं थी। ऐसा कहा जाता है कि कांग्रेस से टिकिट के लिए वह उस समय के कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया से भी मिली थीं। उन्होंने उस समय भाजपा के किसी भी वरिष्ठ नेतृत्व को अनसुना कर दिया था। भाजपा कुशवाह बाहुल्य विधानसभा में तीन बार के विधायक नारायण सिंह कुशवाह को टिकिट न देने की स्थिति में बिल्कुल नहीं थी। अंततोगत्वा समीक्षा गुप्ता ने भाजपा छोड़ दी और निर्दलीय चुनाव लडा। समीक्षा गुप्ता ने 30745 मत के साथ भाजपा को बड़ा नुकसान पहुंचाया। भाजपा प्रत्याशी तीन बार के विधायक 56369 मत प्राप्त कर कांग्रेस प्रत्याशी प्रवीण पाठसे (56248) से मात्र 121 मतों से हार गए।
भाजपा पिछड़ावर्ग के मध्यप्रदेश अध्यक्ष ने अपने जन्मदिवस पर आगामी विधानसभा में अपने दावेदारी की ताल ठोकते हुए ऐसा राग गाया। कि पूरे प्रदेश में हलचल मच गई। जब नारायण सिंह कुशवाह से देशबन्धु ने पूछा कि इस विधानसभा में बहुत दावेदार हैं तो उन्होंने कहा कि दावेदार तो रहेंगे। हमेशा रहते हैं। समीक्षा गुप्ता को टिकिट मिला तो उनका क्या स्टैंड होगा इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस शहर की जनता समीक्षा गुप्ता से अच्छे से परिचित है। पार्टी के वरिष्ठ नेता भी परिचित हैं। फिर भी यदि पार्टी समीक्षा को टिकिट देती है तो मै यहां काम नहीं करूंगा,बाकी 229 में से किसी भी विधान में काम करूंगा। समीक्षा के मेरे विरुद्ध लड़ने से भाजपा को 11 सीटों का नुकसान हुआ।
क्यूंकि अन्य कई सीटों पर पिछड़ा वर्ग ने इसी वजह से भाजपा को वोट नहीं दिए। जब नारायण सिंह कुशवाह से पूछा कि यदि भाजपा टिकिट नहीं देती तो क्या आप पार्टी बदलेंगे तो उन्होंने कहा कि यह काम समीक्षा ने किया। किसी पार्टी ने लेने से इंकार किया, कई लोगों के घर जाने का काम उसने किया। यह काम मै नहीं करूंगा। घर बैठना पसंद करूंगा। पार्टी मेरी मां है। पार्टी के आंकलन में यह सारी चीजें हैं। अपने आप को कोई भी कुछ समझता रहे। पार्टी सब देख रही है। भाजपा का संकल्प इस बार 200 सीटों का है। मुख्यमंत्री के दावेदारी के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह वरिष्ठ नेतृत्व का काम है। शिवराज सिंह जी अच्छा काम कर रहे हैं, हम उन्हें ही देखना चाहेंगे। अनूप मिश्रा की दावेदारी पर उन्होंने कहा कि हर कोई खुद को मजबूत कहता है लेकिन आंकलन जनता करती है। लेकिन यदि अनूप मिश्रा को टिकिट मिलता है तो उनके लिए काम करूंगा।