हिन्दी भाषा और विभाषा के कवि थे नारायण लाल परमार
धमतरी जिला हिन्दी साहित्य समिति ने परमार जी के 96 जन्मदिन पर किये स्मरण;
धमतरी। धमतरी जिला हिन्दी साहित्य समिति के अध्यक्ष डुमन लाल ध्रुव की अध्यक्षता एवं कांकरे से पधारे सशक्त हस्ताक्षर पोर्टल के संपादक मनोज जायसवाल, राजेन्द्र गौर पूर्व, समिति के समस्त पदाधिकारियों की उपस्थिति यशस्वी कवि स्व. नारायण लाल परमार जी के 96 जन्मदिन के अवसर पर काव्य गोष्ठी का आयोजन कर स्मरण किया गया।
सर्वप्रथम नारायण लाल परमार के तैल चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित की गई। इस अवसर पर कवि डॉ. राकेश सोनी के भी जन्मदिन को चिरस्मरणीय बनाने समिति द्वारा शाल, श्रीफल एवं पुष्पगुच्छ भेंटकर सम्मान किया गया। खुशियों का इजहार करके केक काटा गया। दोनो अतिथियों का पुष्पगुच्छ भेंटकर सम्मान किया गया। तत्पश्चात् परमार की सुपुत्री डॉ. रचना मिश्रा ने संस्मरण के माध्यम से कार्यक्रम को रोचक बनाया। उन्होंने बताया कि नारायण लाल परमार साहित्यिक विधा के रचनात्मक कार्यों में समर्पित रहे, स्त्री शिक्षा के पक्षधर थे। रचनात्मक कार्यों के जीवन भर प्रेरित करते रहे। रचनाकारों के पत्राचार से प्रोत्साहित करते थे। कविता, कहानी, नाटक की विधा को जानने अधिक से अधिक पुस्तक पढऩे पर जोर देते थे। रचना को संकलन के रूप में प्रकाशित करने के लिए प्रोत्साहित करते थे। डॉ. राकेश सोनी ने बच्चों की संवेदना पर आधारित ’’ठंड’’ कविता सुनाये- ए ठंड कुछ रहम कर, बेबसी के आलम टूट न जाये किस्मत उनकी फूट न जाये इसी तरह युवा वर्ग को आह्वान करते हुए अपनी पंक्ति सुनाई-आह्वान करती है हवाएं, पंछी तुम उड़ जाओ। विनोद रणसिंह ने नारी अस्मिता पर काव्य का पठन किया गया।
मनोज जायसवाल ने सम्मान के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा कि सशक्त हस्ताक्षर पोर्टल सुरजीत नवदीप, त्रिभुवन पांडेय, डुमन लाल ध्रुव, डॉ. रचना मिश्रा, कामिनी कौशिक, राजेन्द्र सिन्हा जैसे हस्तियों का रचनाओं का प्रकाशन किया गया। परमार जी के साहित्य को कालजयी कृति बताया गया। राजेन्द्र गौर ने परमार जी के साहित्य को नई पीढ़ी के लिए प्रेरक बताया। ए.के. इंगोले एवं श्रीमति पुष्पलता इंगोले परमार के साहित्य का अपने संस्मरणों में याद किया गया। इस अवसर पर सुश्री माधुरी डड़सेना ने भावपूर्ण गीत प्रस्तुत की एक मधुर अहसास तुम्ही हो इस जीवन की आस हो। श्रीमति कामिनी कौशिक ने व्यंग्य विधा की रचना प्रस्तुत कर कार्यक्रम को रोचक बनाया-भाई मौसम चुनाव का आये मौका हमारे हाथ आया।
राजन्द्र सिन्हा ने घर परिवार की टूटन पर कविता सुनाते हुए कहा घर पर नाग देवता भिंभोरा खोजे ल जावत हे, दाई-ददा सेवा बर तरसगे मरे पाछू गीता भागवत करावत हे। माधुरी मारकंडे ने शहीदों को नमन करते हुए कहा -वीर कफन तेरी तिरंगा है, मेरी मातृभूमि सदैव तेरा अभिनंदन है। आकाश गिरी गोस्वामी, डॉ. भूपेन्द्र सोनी, संस्मरण सुनाते हुए परमार को याद किया गया। धमतरी जिला हिन्दी साहित्य समिति के अध्यक्ष डुमन लाल ध्रुव ने कहा-यशस्वी साहित्यकार स्वर्गीय नारायण लाल परमार जी छत्तीसगढ़ प्रदेश के ऐसे कवि हैं, जिन्होंने हिंदी भाषा और उसकी विभाषा छत्तीसगढ़ी में समानांतर रूप से साहित्य प्रणयन किया है। छत्तीसगढ़ी जैसी अनगढ़ भाषा को अपने नए नए प्रयोगों द्वारा साहित्यिक भाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने में परमार जी का विशेष योगदान है। उनके काव्य के माध्यम से छत्तीसगढ़ी भाषा की साहित्यिक क्षमता को मूल्यांकित किया जा सकता है। उनके काव्य का सबसे बड़ा उद्देश्य है, वर्षो से उपेक्षित छत्तीसगढ़ को वाणी प्रदान करना। परमार जी के काव्य के माध्यम से छत्तीसगढ़ की यथार्थ छवि का प्रदर्शन किया जा सकता है। यह सत्य है कि बड़ा कवि वही होता है जिसकी अभिव्यक्ति में व्यापक समाज अपनी भावनाओं और अनुभूतियों की अभिव्यक्ति पाता है। एक तरह से समाज उसकी अभिव्यक्ति को अपनी ही अभिव्यक्ति मानने लगता है। यह जानते हुए भी कि यह रचना एक कवि विशेष की है। उसका एहसास यह भी है कि सच्चे कलाकार का काम मनुष्य के सामाजिक संबंधों में कोमलता, एकात्मता तथा संवेदनशीलता उत्पन्न समाज को नए जीवन प्रदान करना है, तभी आजादी के पूर्व देश को स्वतंत्र कराने के लिए कवि परमार जनमानस को जागृत करते हैं और कहते हैं- आजादी के अंगरा, होगे करा बरोबर, विपदा बहु छेवारी होके, बइठे हावे घर-घर।
चन्द्रहास साहू ने छत्तीसगढ़ी कहानी का पाठ किया इस अवसर पर नरेश चंद श्रोती, होमेश्वर चंद्राकर, मेनका नेताम मुख्य रूप से उपस्थित थे। कार्यक्रम का सफल संचालन सचिव डॉ. भूपेन्द्र सोनी ने किये।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सुपुत्र चैतन्य बघेल की आज ख्याति वर्मा के साथ सगाई रस्म संपन्न हुई। इस अवसर पर उपस्थित परिवारजनों तथा अतिथियों ने उन्हें बधाई तथा शुभकामनाएं दी।