महाराष्ट्र में मध्यावधि चुनाव निश्चित : शरद पवार
मुंबई ! भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) तथा शिवसेना के बीच वर्षो पुराने गठबंधन में खटास के बीच दोनों पार्टियों के नेताओं के बीच चल रहे वाक युद्ध के बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी;
मुंबई ! भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) तथा शिवसेना के बीच वर्षो पुराने गठबंधन में खटास के बीच दोनों पार्टियों के नेताओं के बीच चल रहे वाक युद्ध के बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार ने महाराष्ट्र में मध्यावधि चुनाव की संभावना जताते हुए शनिवार को जोर दिया कि उनकी पार्टी द्वारा भाजपा-शिवसेना गठबंधन का समर्थन करने का सवाल ही नहीं पैदा होता। राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने संवाददाताओं से कहा कि वह अपना फैसला लिखित में देने और उसकी एक प्रति राज्य के राज्यपाल को सौंपने के लिए तैयार है, बशर्ते शिवसेना भाजपा से समर्थन वापस ले।
पवार ने कहा, "मैं अपने फैसले को लिखित में देने और उसकी एक प्रति राज्यपाल को देने के लिए तैयार हूं। लेकिन इसके लिए शिवसेना को भी राज्यपाल को एक पत्र लिखना होगा कि उसने सरकार से समर्थन वापस ले लिया है और उसे उस पत्र को सार्वजनिक करना चाहिए।"
शिवसेना पिछले कुछ सप्ताह से भाजपा की राज्य तथा केंद्र में कटु आलोचना करती आ रही है। उसने कहा है कि महाराष्ट्र सरकार नोटिस पीरियड पर चल रही है, जिससे यह संकेत मिलता है कि 23 फरवरी को निकाय चुनाव के नतीजे आने के बाद वह सरकार से समर्थन वापस ले सकती है।
पवार ने हालांकि सरकार को समर्थन जारी रखने के बदले में शिवसेना की उस मांग को खुद का बचाव करने का एक मार्ग बताया, जिसमें उसने किसानों का ऋण माफ करने की बात कही है।
अक्टूबर 2014 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद राकांपा ने भाजपा की अल्पमत की सरकार को बाहर से अपना समर्थन दिया था, क्योंकि सरकार में शामिल होने से पहले शिवसेना एक महीने तक विपक्ष में बैठी थी।
पिछले विधानसभा चुनाव में महाराष्ट्र में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला, क्योंकि सभी प्रमुख पार्टियों ने अकेले एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ा था।
नोटबंदी के लिए केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए पवार ने कहा कि आठ नवंबर को उठाए गए कदम से अर्थव्यवस्था में न सिर्फ नौकरियों का नुकसान हुआ, बल्कि कृषि तथा ग्रामीण क्षेत्रों को भारी नुकसान हुआ।
पवार ने कहा, "नोटबंदी का बिजली करघा (पावरलूम) तथा विनिर्माण विभाग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा, जिसके कारण ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी 30 फीसदी बढ़ गई। फडणवीस सरकार के प्रदर्शन को लेकर ग्रामीणों में खासा रोष है।"
फडणवीस के पारदर्शिता एजेंडे पर सवाल उठाते हुए पवार ने यह जानने की मांग की कि महाराष्ट्र में जारी निकाय चुनाव में भाजपा प्रचार-प्रसार पर इतना पैसा कैसे खर्च कर सका।
शिवसेना के मुखपत्र सामना को निकाय चुनाव के दौरान कुछ दिनों तक बंद करने की भाजपा की मांग की ओर इशारा करते हुए पवार ने इसे केंद्र सरकार की तरफ से तानाशाही रवैये का संकेत दिया और इसके प्रति विरोध जताया।
पवार ने कहा, "मैं लंबे वक्त तक सत्ता में रहा। यह आश्चर्यजनक है कि कुछ ही समय में सत्ता का गुरूर कैसे उनके सिर पर चढ़कर बोलने लगा और वे एक समाचार पत्र को प्रतिबंधित करने की मांग कैसे कर सकते हैं। यह तानाशाही रवैये का संकेत है।"
निकाय चुनाव में राकांपा की जीत की संभावना के बारे में पवार ने कहा कि वह कोई दावा नहीं कर रहे हैं कि उनकी पार्टी मुंबई में शानदार प्रदर्शन करेगी, क्योंकि यह राज्य स्तर पर मजबूत है।