मप्र : 156 प्रयोगशालाओं के जरिए पेयजल की गुणवत्ता पर नजर

मध्य प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में शुद्घ पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित किए जाने के लिए पेयजल की गुणवत्ता की जांच 156 प्रयोगशालाओं के माध्यम से की जा रही;

Update: 2020-06-02 17:28 GMT

भोपाल  । मध्य प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में शुद्घ पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित किए जाने के लिए पेयजल की गुणवत्ता की जांच 156 प्रयोगशालाओं के माध्यम से की जा रही है। यह कार्य कर रहा है लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग। पीएचईडी के प्रमुख अभियंता क़े क़े सोनगरिया ने मंगलवार को बताया, "लोगों को उपलब्ध हो रहे पानी की गुणवत्ता पर खास नजर रखी जा रही है। इस कार्य के लिए राज्य स्तर पर एक राज्य अनुसंधान प्रयोगशाला, 51 जिलों में जिलास्तरीय प्रयोगशाला और 104 विकासखंड स्तरीय प्रयोगशाला हैं।"

उन्होंने आगे बताया, "भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुरूप भारतीय मानक संस्थान के कोड क्रमांक आई़ एस़ 10500 के तहत इन सभी प्रयोगशालाओं में पेयजल स्रोतों के नियमित जल परीक्षण किए जाते हैं।"

उल्लेखनीय है कि भारत सरकार द्वारा जल को पीने की उपयुक्तता के आंकलन के लिए 14 घटकों का परीक्षण किया जाता है। इनमें मटमैलापन, पीएच़, रंग, हार्डनेस, क्लोराइड, क्षारीयता, टीडीएस़, फ्लोराइड, आयरन, नाइट्रेट, सल्फेट, मैंगनीज, कालीफार्म ई-कोलाई का परीक्षण शामिल है। राज्य अनुसंधान प्रयोगशाला में जिलों से प्राप्त जल नमूनों का प्रतिपरीक्षण किया जाता है। साथ ही सीवेज, जल उपचार में लाए जाने वाले रसायनों की गुणवत्ता और पेयजल के उपचार संबंधी परीक्षण सतत रूप से जारी हैं।

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