मप्र : दुष्कर्म पीड़िता को गर्भपात की अनुमति मिली

मध्य प्रदेश के जबलपुर उच्च न्यायालय ने दुष्कर्म पीड़िता को गर्भपात करने की अनुमति दे दी;

Update: 2018-06-15 00:46 GMT

जबलपुर। मध्य प्रदेश के जबलपुर उच्च न्यायालय ने दुष्कर्म पीड़िता को गर्भपात करने की अनुमति दे दी। न्यायाधीश वंदना कासरेकर की एकलपीठ ने सीएचएमओ खंडवा को निर्देशित किया है कि वह मेडिकल बोर्ड का गठन कर 18 जून को पीड़िता का गर्भपात करवाएं। एकलपीठ ने भ्रण का डीएनए सुरक्षित रखने के निर्देश भी जारी किए हैं। दुष्कर्म पीड़िता युवती की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि शादी का झांसा देकर आरोपी युवक ने उसके साथ 30 मार्च, 2018 को दुष्कर्म किया था। उसके बाद भी आरोपी लगातार उसके साथ शरीरिक संबंध बनाता रहा। इस दौरान आरोपी ने किसी और से शादी कर ली। इसके बाद पीड़िता ने 20 अप्रैल को थाने पहुंचकर उसके खिलाफ दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज करवाई।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता आनंद दत्त मिश्रा ने बताया कि चिकित्सकीय परीक्षण के दौरान चिकित्सक ने 27 अप्रैल को सोनोग्राफी करवाई थी। सोनोग्राफी रिपोर्ट में गर्भ में छह से सात सप्ताह भ्रूण होने की जानकारी उसे एक मई को दी गई। इसके बाद गर्भपात के लिए आठ मई को संबंधित पुलिस थाने व जिला चिकित्सालय में आवेदन दिया, जो उन्होंने स्वीकार नहीं किए। 

गर्भपात की अनुमति के लिए उसने 26 मई को जिला न्यायालय में आवेदन दायर किया था, जिसमें कहा गया था युवती अविवाहित है और गर्भपात नहीं करवाने पर उसकी तथा परिवार की प्रतिष्ठा धूमिल होगी। 

जिला न्यायालय ने आवेदन को खरिज कर दिया था, जिला न्यायालय द्वारा आवेदन खारिज किए जाने के बाद उच्च न्यायालय की शरण ली गई। याचिका पर गुरुवार को सुनवाई के दौरान एकलपीठ के समक्ष रिपोर्ट पेश की गई। 

रिपोर्ट में बताया गया कि पीड़िता के गर्भ में 13 सप्ताह का भ्रूण है और चिकित्सीय समापन गर्भ की अधिनियम 1971 की धारा तीन के तहत 20 सप्ताह के कम के भ्रूण का गर्भपात कराया जा सकता है। 

रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद एकलपीठ ने गर्भपात का आदेश जारी किया। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आनंद दत्त मिश्रा ने पैरवी की। 

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