अर्थव्यवस्था पर हैरान करने वाली है मोदी की चुप्पी: चिदंबरम
आईएनएक्स मामले में 106 दिन बाद तिहाड़ जेल से जमानत पर रिहा हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व वित्त मंत्री पी चिदम्बरम ने देश के आर्थिक हालात को चिंताजनक;
नयी दिल्ली । आईएनएक्स मामले में 106 दिन बाद तिहाड़ जेल से जमानत पर रिहा हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व वित्त मंत्री पी चिदम्बरम ने देश के आर्थिक हालात को चिंताजनक बताते हुए सरकार पर इससे उबरने के लिए प्रबंधन क्षमता नहीं होने का आरोप लगाया और कहा कि इसमें सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी हैरान करने वाली है।
चिदम्बरम ने उच्चतम न्यायालय से जमानत मिलने के एक दिन बाद गुरुवार को यहां कांग्रेस मुख्यालय में अपने पहले संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वर्तमान आर्थिक मंदी से निपटा जा सकता है लेकिन मोदी सरकार यह मानने को तैयार ही नहीं है कि देश में आर्थिक मंदी है। दूसरी बार सत्ता में आने के सात माह बाद भी सरकार इसे सामान्य उतार-चढ़ाव वाली मंदी बता रही है और यह ठीक नहीं है।
उन्होंने कहा कि मंदी के इस दौर में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि श्री मोदी अर्थव्यवस्था पर असामान्य रूप से मौन हैं। वह कुछ नहीं बोल रहे हैं जबकि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के पिछली छह तिमाही के आंकड़े साफ बता रहे हैं कि स्थिति ठीक नहीं है। इन छह तिमाहियों के आर्थिक विकास के आंकड़ों में गिरावट क्रमश: 8.0, 7.0, 6.6, 5.8, 5.0 और अब 4.5 है। देश की अर्थव्यवस्था की इस तस्वीर पर सरकार मौन है।
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार अर्थव्यवस्था को लेकर जो भी तर्क दे रही है वह गलत है। इस सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को चौपट कर दिया है और इसकी बर्बादी के कारणों को खोजने में वह असमर्थ है। प्रधानमंत्री और उनका कार्यालय यह मानने को तैयार नहीं है कि अर्थव्यवस्था की इस बदहाली की वजह नोटबंदी, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी), कर आतंकवाद, संरक्षणवाद और केंद्रीकृत नियंत्रण जैसी नीतियां हैं। आश्चर्य है कि सरकार अपनी गलतियों का बचाव करने की जिद में लगी हुई है।
चिदम्बरम ने कहा कि अर्थव्यवस्था को मंदी से बाहर लाया जा सकता है, लेकिन यह सरकार ऐसा करना ही नहीं चाहती है। कांग्रेस और कुछ अन्य दल अर्थव्यवस्था को मंदी से बाहर निकालने और आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने में सक्षम हैं लेकिन सरकार फिलहाल उनके साथ बैठकर ऐसा करने की इच्छुक नजर नहीं आ रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार वर्तमान मंदी को सामान्य उतार-चढ़ाव वाली ‘चक्रीय’ बता रही है। उन्होंने तंजात्मक लहजे में कहा “भगवान का शुक्र है कि सरकार इस मंदी को ‘मौसमी’ नहीं बता रही है।” मांग में कमी को उन्होंने लोगों के भीतर के भय के माहौल की वजह बताया है। लोगों के पास अनिश्चितता और भय के कारण उपभोग करने के लिए न तो पैसे हैं और न ही इच्छा है। उनका कहना था कि जब तक मांग नहीं बढ़ती, उत्पादन या निवेश में वृद्धि नहीं होती है।
कांग्रेस नेता ने मनरेगा को लेकर भी सरकार पर सवाल किए और कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरी घट रही है और गरीबी बढ़ रही है। विशेषकर किसानों के लिए पैदावार की कीमतें कम हैं। दैनिक वेतन भोगियों को महीने में 15 दिनों से अधिक समय तक काम नहीं मिल रहा है
उन्होंने कहा कि प्याज 100 रुपये किलो बिक रहा है लेकिन किसान को इससे क्या फायदा हो रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र में जब कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार थी तो वर्ष 2004 से 2014 के बीच 14 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकाला गया लेकिन मोदी सरकार के आने के बाद करोड़ों लोगों को गरीबी में धकेला गया है।