गृह मंत्रालय उपलब्ध कराएगा केंद्रीय मंत्रियों की 'आदर्श आचार संहिता'
केंद्रीय मंत्रियों के लिए 'आदर्श आचार संहिता' मौजूद है, इसके बावजूद आम लोग इससे वाकिफ नहीं हैं;
भोपाल। केंद्रीय मंत्रियों के लिए 'आदर्श आचार संहिता' मौजूद है, इसके बावजूद आम लोग इससे वाकिफ नहीं हैं। इसी कारण फेमा के आरोपी फिल्म स्टार शाहरुख खान के केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली की बेटी के शादी समारोह में हिस्सा लेने पर सवाल उठे थे।
केंद्रीय सूचना आयोग के दखल के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय 'आदर्श आचार संहिता' को केंद्रीय गृह मंत्रालय के जरिए उपलब्ध कराने को राजी हुआ है।
मध्यप्रदेश के नीमच जिले के सूचना अधिकार कार्यकर्ता और पत्रकार जिनेंद्र सुराना ने 16 अप्रैल, 2016 को प्रधानमंत्री कार्यालय में एक आवेदन के जरिए केंद्रीय मंत्रियों की आदर्श आचार संहिता मांगी थी, मगर पीएमओ के लोक सूचना अधिकारी सुब्रतो हाजरा ने जानकारी देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि मांगी गई जानकारी सूचना के अधिकार के दायरे से बाहर है।
सुराना ने आईएएनएस से चर्चा के दौरान कहा कि उन्होंने केंद्रीय मंत्रियों की आदर्श आचार संहिता की मांग इसलिए की है, ताकि आम लोगों को यह पता चल सके कि केंद्रीय मंत्रियों के लिए क्या-क्या प्रावधान हैं और उन्हें किस तरह की कार्यशैली अपनाने की हिदायतें मिली हैं तथा वह इसका पालन कर भी रहे हैं या नहीं।
उन्होंने आगे कहा कि फिल्म अभिनेता शाहरुख खान पर (नाइट राइडर स्पोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक) आईपीएल-20 टीम के शेयर अप्रवासी जय मेहता और उनकी पत्नी फिल्म अभिनेत्री जूही चावला की मॉरीशस स्थित कंपनी (सी आइसलैंड इंवेस्टमेंट) को बाजार मूल्य से कम दामों में बेचकर करीब 100 करोड़ का घोटाला करने का आरोप है, जिसे लेकर उन पर फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (फेमा) के तहत मामला दर्ज किया गया है और वित्त विभाग का प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) इसकी जांच कर रहा है।
शाहरुख सात ने दिसंबर, 2015 में केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली (ईडी जिनके अधीन है) की बेटी के शादी समारोह में हिस्सा लिया था। सवाल उठता है कि यह आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है क्या? इसी के चलते उन्होंने आचार संहिता की प्रति की मांग की है।
ज्ञात हो कि प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने फेमा के मामले में शाहरुख खान से 10 नवंबर 2015 को मुंबई के बेलार्ड-हाउस में तीन घंटे तक पूछताछ की थी। उसके बाद ईडी ने प्रथम सूचना पत्र भी शाहरुख को जारी किया था, जिसके बाद शाहरुख सात दिसंबर, 2015 को जेटली की बेटी के शादी समारोह में शामिल हुए थे।
सुराना ने पीएमओ के लोक सूचना अधिकारी द्वारा एक बार आवेदन निरस्त होने पर प्रथम अपील की, तो फिर पीएमओ से पहले वाला ही जवाब मिला और आदर्श आचार संहिता उपलब्ध नहीं कराई गई। इसके बाद सुराना ने केंद्रीय सूचना आयोग में आवेदन लगाया तो पीएमओ ने पलटी मारी और माना कि आचार संहिता गृह मंत्रालय से उपलब्ध कराई जा सकती है।
केंद्रीय मुख्य सूचना आयुक्त राधाकृष्ण माथुर ने 25 अगस्त को पीएमओ को निर्देशित किया था कि गृह मंत्रालय में सूचना के अधिकार के आवेदन प्रस्तुत करें और इससे आवेदक को अवगत कराएं।
सुराना का कहना है कि शाहरुख अमूमन किसी आयोजन में हिस्सा लेने के एवज में तीन से पांच करोड़ रुपये लेते हैं, ऐसे में अरुण जेटली की बेटी के वैवाहिक समारोह में (7 दिसंबर, 2015) हिस्सा लेने पर शाहरुख को कितना व किसी तरह से (नगद या चेक) भुगतान किया गया, यह जवाब भी सूचना के अधिकार के तहत मांगा गया था, जिसका ब्यौरा पीएमओ ने नहीं दिया। शाहरुख ने रकम नहीं ली या नि:शुल्क समारोह में हिस्सा लिया, यह भी जानना जरूरी है।
सुराना का आरोप है कि फेमा के आरोपी का वित्तमंत्री से मेलजोल बढ़ाना कदाचार की श्रेणी में आता है। इसके बावजूद पीएमओ ने यह जानकारी को देने से इनकार कर दिया था। अब पीएमओ केंद्रीय लोक सूचना आयुक्त के निर्देश पर गृह मंत्रालय के जरिए जानकारी उपलब्ध कराने को तैयार हुआ है।