कृषि वैज्ञानिक प्रोफेसर वार्ष्णेय को मिला बिड़ला पुरस्कार

प्रोफेसर राजीव कुमार वार्ष्णेय को अंतरराष्ट्रीय कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण शोध के लिए 2018 के प्रतिष्ठित घनश्याम दास बिड़ला पुरस्कार से सम्मानित किया गया;

Update: 2019-03-07 20:40 GMT

नयी दिल्ली। प्रोफेसर राजीव कुमार वार्ष्णेय को अंतरराष्ट्रीय कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण शोध के लिए 2018 के प्रतिष्ठित घनश्याम दास बिड़ला पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

के के बिडला फाउंडेशन की गुरुवार को यहां जारी विज्ञप्ति के अनुसार प्रोफेसर वार्ष्णेय को यह पुरस्कार अंतरराष्ट्रीय कृषि जगत में पौध जीनोम अनुक्रमण जीनोमिक्स-असिस्टेड ब्रीडिंग जीनोमिक्स उपयोगीकरण के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण शोध के लिए दिया गया है।

यह पुरस्कार 1991 से दिया जा रहा है आैर यह 50 साल से कम उम्र के वैज्ञानिकों को दिया जाता है। इस पुरस्कार के तहत पांच लाख रुपये और प्रशस्ति पत्र दिया जाता है। 

प्रोफेसर वार्ष्णेय हैदराबाद में इंटरनेशलन क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर द सेमी एरिड ट्रॉपिक्स(आईसीआरआईएसएटी) में आनुवांशकी लाभ शोध कार्यक्रम के शोध कार्यक्रम निदेशक एवं सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन जीनोमिक्स एंड सिस्टम्स बायोलॉजी के निदेशक हैं।

संस्थान में प्रोफेसर वार्ष्णेय के नेतृत्व में चना, अरहर, मूंगफली और बाजरा समेत नौ फसलों के जीनाेम को डिकोड करने, उनके आनुवांशिक लक्षणों के मानचित्रण और कार्यात्मक जीनोमिक्स द्वारा दलहन और अनाज की फसलों के लक्षणों और गुणों को समझने के क्षेत्र में बहुत मदद मिली है।

जीनोमिक्स उपयोगीकरण के क्षेत्र में प्रोफेसर वार्ष्णेय और उनके सहयोगियों ने शुष्क भूमि में भी ज्यादा उत्पादन करने वाली एवं झुलसा और उकटा जैसे रोगों के लिए प्रतिरोधी चने की प्रजातियों एवं उच्च गुणवत्ता वाला तेल देने वाली मूंगफली की प्रजातियां भी विकसित की हैं।

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