प्रयाग में कोतवाल के दर्शन से पूरी होती है मनाेकामना
गंगा, यमुना अौर अदृश्य सरस्वती के संगम तट पर स्थित प्रयाग के कोतवाल के नाम से मशहूर हनुमान के दर्शन बिना संगम स्नान का पुण्य लाभ पूर्ण नहीं माना जाता;
इलाहाबाद। गंगा, यमुना अौर अदृश्य सरस्वती के संगम तट पर स्थित प्रयाग के कोतवाल के नाम से मशहूर हनुमान के दर्शन बिना संगम स्नान का पुण्य लाभ पूर्ण नहीं माना जाता । यहां श्रद्धा और विश्वास से मांगी गयी हर मनाेकामना पूरी होती है।
मंदिर के महंत नरेन्द्र गिरी महाराज ने आज ‘यूनीवार्ता’ काे बताया कि मंदिर में हर दिन सैकडों की संख्या में श्रद्धालू दर्शन पूजन और मनाोकामना पूरी होने की कामना से पहंचते है।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के अलावा देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, सरदार बल्लभ भाई पटेल, चन्द्र शेखर आज़ाद, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी जैसी तमाम विभूतियों ने मंदिर में अपने शीश झुकाये हैं।
दुनिया में यह इकलौता मन्दिर है, जहां बजरंग बली की करीब बीस फिट लेटी हुई प्रतिमा को पूजा जाता है। हनुमान मंदिर के बारे में अनेक किंवदंतियां हैं। कन्नौज के एक नि:संतान अमीर व्यपारी ने मनोकामना पूरी के लिए एक हनुमान की मूॅर्ति बनवाई और उसे अपने साथ लेकर उत्तरी उपमहाद्वीप की ओर तीर्थ यात्रा पर निकल गए।
यात्रा के दौरान जब वह संगम तट पहुंचे और मूति को स्नान करा रहे थे तभी उनके हाथ से मूर्ति गंगा में छूट गयी और उनसे नहीं उठी। हनुमान जी उन्हें सपने में दर्शन दिया और मूर्ति को वहीं छोड देने के लिए कहा। व्यापारी ने वैसा ही किया।
काफी सालों बाद सिद्ध संत बालागिरि को वह मूर्ति मिली और उन्होंने उस जगह बड़े हनुमान जी के मंदिर का निर्माण करवाया। मान्यता है कि जब उस व्यापारी ने उस मूर्ति को उस स्थान पर छोड़ा तो उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो गई।
एक अन्य किवदंती के अनुसार लंका विजय के बाद हनुमान जी अपार कष्ट से पीड़ित होकर मरणासन्न अवस्था में पहुँच गए थे तब माँ जानकी ने इसी जगह पर उन्हे अपना सिन्दूर देकर नया जीवन और हमेशा आरोग्य एवं चिरायु रहने का आशीर्वाद देते हुए कहा कि त्रिवेणी तट पर संगम स्नान कर तुम्हारे दर्शन करने के बाद संगम पुण्य का लाभ अौर मनाोकामना पूरी हाेगी।