महात्मा थे युग की आत्मा तो सरदार राष्ट्र-निर्माता : सुधाकर अदीब
अपने ऐतिहासिक उपन्यास 'कथा विराट' के लोकार्पण अवसर पर उपन्यासकार सुधाकर अदीब ने कहा कि महात्मा गांधी युग की आत्मा तो सरदार पटेल राष्ट्र-निर्माता थे;
नई दिल्ली। अपने ऐतिहासिक उपन्यास 'कथा विराट' के लोकार्पण अवसर पर उपन्यासकार सुधाकर अदीब ने कहा कि महात्मा गांधी युग की आत्मा तो सरदार पटेल राष्ट्र-निर्माता थे। उन्होंने हमेशा देश के लिए काम किया और उपप्रधानमंत्री तक बने, लेकिन उन्हें कभी भी पद की महत्वाकांक्षा नहीं रही। उन्होंने कहा कि उनका यह उपन्यास इतिहास में करवटें लेती एक वृहद कथा है, जिसमें 35 वर्षों का हमारे महान पूर्वजों का एक जीता जागता इतिहास समाहित है। महात्मा गांधी सन् 1915 में दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटते हैं और वे भारतीय स्वाधीनता आंदोलन की एक नई इबारत लिखते हैं। महात्मा गांधी तो उस युग की आत्मा थे। उनके निकटतम अनुयायी सरदार पटेल आगे चलकर राष्ट्र-निर्माता 'लौहपुरुष' कहलाए। उपन्यास में वे प्रमुख भूमिका में हैं।
लखक ने बताया कि 'कथा विराट' सरदार वल्लभभाई पटेल के कर्मठ जीवन की दास्तान है जो सन् 1950 में उनके महाप्रयाण के साथ समाप्त होती है।
भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की 143वीं जयंती के अवसर पर राजकमल प्रकाशन द्वारा सुधाकर अदीब के उपन्यास 'कथा विराट' का लोकार्पण मंडी हाउस के साहित्य अकादेमी सभागार में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विख्यात लेखिका चंद्रकांता, मुख्य अतिथि समालोचक और व्यंग्यकार प्रेम जनमेजय, मुख्य वक्ता थे सुशील पंडित और संचालन डॉ. नीरज चौबे ने किया। यह पुस्तक लोकभारती प्रकाशन द्वारा प्रकाशित हुई है।
भारत का स्वाधीनता आंदोलन जिस प्रकार से लड़ा गया, उसमें आए अनेक उतार-चढ़ाव और संघर्ष प्राचीन महाभारत की याद दिलाते हैं। 'कथा विराट' के 18 अध्यायों में भारतीयों द्वारा अंग्रेजों के विरुद्ध लड़े गए आधुनिक महाभारत की वृहद कथा बेहद दिलचस्प और तथ्यपरक ढंग से श्रृंखलाबद्ध है।
राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी ने कहा, "यह उपन्यास सरदार पटेल के जीवन और योगदान पर लिखा गया है। सरदार पटेल स्वतंत्रता से पहले और बाद में भी हमारे वरिष्ठ राजनेताओं में रहे। रियासतों में बिखरे हिंदुस्तान को एक सूत्र में पिरोकर राष्ट्र के रूप में स्थिर करने में सरदार पटेल का एक बड़ा योगदान था।"